MP News: प्लास्टिक के कचरे से मुक्ति के लिए मप्र में अब तक लगी हैं 289 इकाइयां, इनमें 13 जिलों में 118 से अधिक यूनिट स्थापित
MP News: केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण फेज-II (जनवरी 2022 से दिसंबर 2025) के तहत मध्यप्रदेश के जिलों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों (पीडब्ल्यूएमयू) की स्थापना की जा रही है। इन इकाइयों पर केंद्र सरकार की ओर से प्रति इकाई 16 लाख रुपए तक की राशि खर्च की जा रही है।
राज्य में ग्रामीण इलाकों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को रोकने और उसका वैज्ञानिक निपटान करने के लिए यह कदम उठाया गया है। राज्य सरकार और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने 2022 में इसके लिए एक विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया था।
इसके तहत जिला और ब्लॉक स्तर पर मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) या प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक प्रदेश में 289 इकाइयां कार्यशील हो चुकी हैं, जहां सूखा कचरा और प्लास्टिक का पृथक्करण और निपटान किया जा रहा है। जिन जिलों में अब तक ये यूनिट्स नहीं लगी हैं, वहां इन्हें लगाने के लिए महज तीन महीने का समय ही बचा है।
इकाई स्थापना के लिए कई नियम और शर्तेंः प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई स्थापित करने के लिए पहले पंचायत को उपयुक्त जमीन उपलब्ध करानी होगी। इकाई की देखरेख के लिए जिला पंचायत और स्थानीय निकाय जिम्मेदार रहेंगे। केंद्र सरकार प्रति इकाई 16 लाख रुपये तक का अनुदान देगी, लेकिन मशीनरी और संचालन का खर्च राज्य और पंचायतों को मिलकर उठाना होगा। 2022 की नीति के अनुसार, इकाइयों में न्यूनतम 5 से 10 सफाई मित्रों की नियुक्ति की जाएगी। कचरा संग्रहण, छंटाई और आगे के उपयोग की पूरी प्रक्रिया दर्ज की जाएगी। इकाई संचालित करने वाले संगठनों को समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। नियमों का उल्लंघन करने पर अनुदान रोका जा सकता है।
इंदौर और धार में सबसे ज्यादा इकाइयां
भोपाल जिले के ग्रामीण इलाकों में पहले से ही क्लस्टर आधारित मॉडल लागू है, जहां 222 ग्राम पंचायतों में सफाई मित्र घर-घर से कचरा इकट्ठा कर इसे एमआरएफ इकाई तक पहुंचाते हैं। वहां से प्लास्टिक कचरे को सड़क निर्माण या सीमेंट फैक्ट्रियों में उपयोग के लिए भेजा जाता है। मंडला और पन्ना जिलों में भी 2024 के दौरान नई इकाइयां प्रस्तावित हुई। प्रदेश में सबसे ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसर इंदौर में 45 और फिर धार में 16 इकाई स्थापित है। वहीं रायसेन में 9, ग्वालियर में 7, भोपाल में 6, देवास में 4, भिंड में 3, खंडवा, टीकमगढ़ और उज्जैन में 2-2 सहित दमोह, गुना अ और नीमच जिले में एक-एक यूनिट स्थापित है।