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टीकमगढ़ में नवजात शिशुओं की देखभाल में गंभीर चूक, पांच माह में 133 बच्चे बिना अस्पताल पहुंचे मृत

 

Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले में नवजात शिशु देखभाल को लेकर हाल ही में गंभीर स्थिति सामने आई है। 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक कुल 297 नवजात शिशुओं की मौत दर्ज की गई, जिनमें से 133 बच्चे किसी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंचे। ये आंकड़े गृह-आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम (एचबीएनसी) में लापरवाही की ओर संकेत करते हैं।

एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जन्म के पहले से लेकर 42 दिनों तक माताओं और नवजात शिशुओं के घर जाकर उनकी देखभाल करनी होती है। इसमें नवजात का वजन और तापमान जांचना, स्तनपान की जानकारी देना और बीमारियों से बचाव के उपाय बताना शामिल है। कार्यक्रम के तहत जन्म के 3, 7, 14, 21, 28 और 42वें दिन दौरे अनिवार्य हैं। संस्थागत प्रसव के मामलों में जन्म के 24 घंटे के भीतर अतिरिक्त दौरा भी आवश्यक होता है।

जिले में इस अवधि में 54 प्रतिशत नवजातों की ही देखभाल दर्ज की गई, जबकि संभागीय औसत 72–74 प्रतिशत था। टीकमगढ़ इस मामले में सबसे पिछड़े जिले में शामिल रहा। डीसीएम और डीपीएम द्वारा कार्यक्रम की निगरानी न होने और आशा-स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की अनुपस्थिति के कारण अधिकांश बच्चे समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाए।

अधिकारियों के अनुसार, निवाड़ी ब्लॉक में 20, पृथ्वीपुर में 11, बल्देवगढ़ और पलेरा में 6-6 नवजातों की मौत, जबकि जिला अस्पताल की एसएनसीयू में 98 बच्चों की मृत्यु हुई। बाकी 133 बच्चों की मौत घर या समुदाय में हुई, जो किसी स्वास्थ्य केंद्र में नहीं पहुंचे। इन घटनाओं ने एचबीएनसी कार्यक्रम की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

समीक्षा में पाया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कई कार्यक्रम जैसे मातृ स्वास्थ्य, नवजात स्वास्थ्य, सिकल सेल एनीमिया, राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण और एनसीडी का क्रियान्वयन जिले में पर्याप्त रूप से नहीं हो रहा है। एचबीएनसी सत्यापन दौरे भी कई ब्लॉकों में अधिकारियों द्वारा नहीं किए गए। केवल पृथ्वीपुर और बल्देवगढ़ में बीएमओ ने सत्यापन दौरा किया।

इस मामले में संबंधित आशा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से जवाब मांगा गया है, ताकि पता लगाया जा सके कि कितनी लापरवाही और किन कारणों से बच्चों की देखभाल में कमी रही। अधिकारी मानते हैं कि यदि समय रहते अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया जाता, तो इन बच्चों की कई जानें बच सकती थीं।

जिले में एचबीएनसी कार्यक्रम की स्थिति बेहद चिंताजनक है। टीकमगढ़ और बल्देवगढ़ ब्लॉक बॉटम 5 में शामिल हैं। जन्म के बाद आशा कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों की देखभाल में लापरवाही ने बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, कार्यक्रम की निगरानी और सत्यापन में अधिकारियों की गंभीर कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

इस प्रकार, टीकमगढ़ में नवजात शिशु देखभाल में लापरवाही और निगरानी की कमी ने पांच माह में 133 बच्चों की अनावश्यक मौत का कारण बनी। अब स्वास्थ्य विभाग और संबंधित अधिकारियों से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मामले में सुधार करें और भविष्य में नवजात मृत्यु दर कम करने के लिए गृह-आधारित देखभाल कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करें।