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 कला, साहित्य और संस्कृति की शाश्वत शक्ति का उत्सव — “भाषा एंड बियॉन्ड 3.0”

 
 

पुणे,11 अक्टूबर(इ खबर टुडे)। लिटरेरी वॉरियर ग्रुप (LWG) द्वारा पुणे के  यशदा परिसर में गत दिनों  आयोजित बहुप्रतीक्षित साहित्यिक महोत्सव “भाषा एंड बियॉन्ड 3.0” ने महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे को दो दिनों तक रचनात्मकता, साहित्य और संस्कृति की चमक से आलोकित कर दिया।

LWG की प्रेरक यात्रा

2011 में स्थापित लिटरेरी वॉरियर ग्रुप का उद्देश्य रचनात्मकता की लौ को जीवित रखना और लेखकों, कवियों व कलाकारों को एक साझा मंच देना रहा है। गुणवत्ता को प्राथमिकता देने वाले इस समूह ने सीमाओं से परे पहुँचकर आज 2,96,000 से अधिक सक्रिय सदस्यों का सशक्त परिवार बनाया है।
लखनऊ, दिल्ली, मुंबई और CME, पुणे में पिछले सफल आयोजनों के बाद इस वर्ष भाषा एंड बियॉन्ड 3.0 का भव्य आयोजन यशदा, पुणे में हुआ।

उद्घाटन सत्र

विशिष्ट अतिथि रहे —  निरंजन कुमार सुधांशु (डीजी, यशदा), डॉ. सुजाता जाधव (हेड – लाइब्रेरीज़ एवं डॉक्यूमेंटेशन सेंटर, NCPA) और प्रख्यात रचनाकार सुनील देवधर।

पहले दिन के मुख्य आकर्षण

अमोल पालेकर और संध्या गोखले  ने अपनी पुस्तक “Viewfinder” पर लेखिका नीलम सक्सेना के साथ संवाद किया। कला, जीवन और सिनेमा पर हुए इस संवाद ने सबको मंत्रमुग्ध किया।


यह सत्र NCPA, मुंबई और LWG का संयुक्त आयोजन था, जिसमें डॉ. सुजाता जाधव (कोऑर्डिनेटर “Page to Stage”) की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

“पठन से सृजनशीलता का विकास” विषय पर पैनल चर्चा में डॉ. पद्मजा अय्यंगर-पैडी, हेमा रवि, मधुमिता भट्टाचार्य और ऊर्णा बोस पैनलिस्ट रहीं, संचालन डॉ. कोयल विश्वास ने किया।
पुस्तक लोकार्पण सत्र में अतिथि थीं डॉ. सुजाता जाधव, श्री संजय चंद्रा, सुरेखा साहू और डॉ. रेणु मिश्रा। मुख्य आकर्षण रहा द्विभाषीय कविता-संग्रह “कच्चे धागे – Strings of Connections”, जिसकी क्यूरेटर नीलम चंद्रा और संपादक डॉ. रेणु मिश्रा व आशा सिंह गौड़ थीं।
इसके साथ अन्य पुस्तकों का भी लोकार्पण हुआ —
•    नीलम सक्सेना – मेरी आँखों का महताब
•    डॉ. रेणु मिश्रा – अनामिका
•    डॉ. अपर्णा प्रधान – निर्झर मन
•    आशा सिंह गौड़ – Fifteen Days and Seven Stories
•    कोयल बिस्वास – बादलों के पीछे एक घर है
•    निशा मोटघरे – Momentum
•    विनीत कुमार – Mayan Routes Indian Roots
हाइकू लेखन कार्यशाला का संचालन श्रीनिवास राव ने किया, जबकि हेमंत देओलेकर ने “शब्द साधना” में रचनात्मक लेखन की गहराइयों तक पहुँचाया। अर्पणा राव (संस्था "आमना") ने नृत्य की बारीकियाँ सिखाईं। शाम को अपर्णा राव और नंदिता जी की मोहक कथक प्रस्तुति तथा प्रोजेक्ट कलाकृति के ओजस द्वारा ऊर्जावान ड्रम बीट्स ने समूचे सभागार को झंकृत कर दिया।

दूसरे दिन की साहित्यिक रंगत

मुख्य आकर्षण रहा “Curry for the Spirited Soul” — कहानी-संग्रह, जिसकी क्यूरेटर नीलम सक्सेना और संपादक नित्या शुक्ला व डॉ. मैत्रेयी जोशी थीं।
इसके साथ लोकार्पित हुई अन्य पुस्तकें —
•    अर्चना जैन – बेरंग-सी दुआएँ
•    बिंदु उन्नीकृष्णन – Luminara – Poetry that touches the Soul
•    जसबीर बसु – The Last Wish
•    मरिया हुसैन – Midnight Ponders
•    प्रो. निर्मला राजपूत – सिने गीतों का रसास्वादन और अलंकारिक भाषिक व्यंजना
•    वहीदा हुसैन – A Pocket Full of Limericks
•    सिद्धार्थ सुजिर – Avisha and the Kaalkoot Assassins
इस सत्र के विशिष्ट अतिथि रहे — माया जाजू महेश्वरी (प्रिंसिपल चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर, मुंबई), श्री दिलीप महापात्रा, श्री आनंद प्रकाश चौकसे और डॉ. अपर्णा प्रधान।

संवाद और चिंतन

‘दृष्टिकोण’ सत्र में कर्नल सलिल जैन के संचालन में नीलम सक्सेना, हेमंत देओलेकर और राहुल माहिवाल (यशदा) ने विचार साझा किए। नीलम जी ने कहा — “जो कार्य हम दिल से करते हैं, वही हमारी असली पहचान बनता है।”

पुणे की ख़ास आवाज़

संचालन डॉ. सुनील देवधर ने किया। मैडी क्रिस्टी और स्वरांगी साने की कविताओं ने मन मोह लिया। संयोजक डॉ. रेणु मिश्रा थीं।

सांस्कृतिक संध्या और ‘आरंभ’ अवॉर्ड्स

नृत्य, नाटक और संगीत से सजी शाम में राजेश वर्मा (डीआरएम), सुरभि अल्पेश (रिडन एरे की संस्थापक) और एडीजी यशदा शेखर गायकवाड़ मुख्य अतिथि रहे। साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु विनीता शर्मा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्रदान किया गया।

आभार और समापन

सह-संस्थापक डॉ. रेणु मिश्रा ने पूरी टीम को बधाई दी। मुख्य सहयोगियों — डॉ. अपर्णा प्रधान, लेफ्टिनेंट कर्नल सलिल जैन, सुनील जोशी, जूही गुप्ते, नित्या शुक्ला और सोशल मीडिया टीम का विशेष उल्लेख किया गया।
LWG परिवार ने NCPA एवं Design Media (फोटोग्राफी पार्टनर) के प्रति आभार व्यक्त किया। संस्थापक नीलम सक्सेना ने कहा — “साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने के हमारे दृष्टिकोण को साकार करने में सभी सहयोगियों की भूमिका अमूल्य रही है।”

“भाषा एंड बियॉन्ड 3.0” ने न केवल साहित्यिक संवाद को नई दिशा दी, बल्कि कला, संगीत और शब्दों की सुंदरता को एक ही मंच पर समेट लिया — सच्चे अर्थों में यह कला, साहित्य और संस्कृति का उत्सव था।