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सात दिन बाद भी नहीं हुई बारिश, सोयाबीन और मक्का की फसलों को पानी की सख्त जरूरत

 

Jhabua News: अलीराजपुर जिले में पिछले सात दिनों से बारिश नहीं हुई है, जिससे मौसम गर्म और उमस भरा बना हुआ है। रविवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। फसलों के लिए यह समय खासा संवेदनशील है, क्योंकि सोयाबीन और मक्का की फसलें दाना भरने की अवस्था में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो दाने सिकुड़ सकते हैं और इससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

हालांकि जिले में हाल ही में हुई बारिश ने औसत वर्षा का आंकड़ा पार कर लिया है। अगस्त और सितंबर के पहले सप्ताह में हुई बारिश ने जिले की औसत 35.1 इंच बारिश को 49.1 इंच तक बढ़ा दिया। कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में अब तक सबसे अधिक 74.6 इंच बारिश दर्ज की गई है, जबकि अलीराजपुर में 52.4 इंच तक बारिश हुई। इन बारिशों से नदियाँ और तालाब भर गए हैं, लेकिन वर्तमान में कोई सक्रिय बारिश प्रणाली नहीं है।

मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले तीन से चार दिन हल्की बारिश हो सकती है। 15 सितंबर को लगभग 19.8 मिमी, 16 को 10.5 मिमी और 17 सितंबर को 9.3 मिमी बारिश होने का अनुमान है। इस दौरान कुल मिलाकर 39.4 मिमी तक बारिश हो सकती है। हालांकि यह पर्याप्त नहीं होगी और तेज धूप के दौरान फसलों को अभी भी नुकसान का खतरा रहेगा।

फसलों की स्थिति को देखते हुए किसान सतर्क हैं। बारिश के थमने और धूप के लगातार निकलने से खेतों में नमी कम हो गई है। विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि फसल की निगरानी लगातार रखें और जरूरत पड़ने पर ही कीटनाशक का छिड़काव करें। बारिश होने से न केवल दाने भरने में मदद मिलेगी बल्कि मक्का की फसल को भी फायदा होगा।

इस समय दिन का तापमान 31 से 33 डिग्री के बीच बना हुआ है, जबकि रात का तापमान 24 डिग्री तक पहुँच गया है। तेज धूप और उमस के कारण किसानों और आम लोगों दोनों के लिए मौसम चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। फसलों की देखभाल और पानी की आवश्यकता को देखते हुए अगली हल्की बारिश किसानों के लिए राहत का कारण बन सकती है।

सारांश यह है कि अलीराजपुर जिले में पिछले सप्ताह से लगातार बारिश थमी हुई है। सोयाबीन और मक्का की फसलें दाना भरने की अवस्था में हैं, इसलिए किसान और कृषि विशेषज्ञ दोनों ही भविष्य की बारिश पर ध्यान दे रहे हैं। मौसम में हल्की बारिश की संभावना बनी हुई है, लेकिन तेज धूप के कारण फसलों को नुकसान का जोखिम अभी भी बना हुआ है।