फसल बीमा में गड़बड़ी से आक्रोशित किसान, चार घंटे रोका पेटलावद-राजगढ़ मार्ग
Jhabua News: झाबुआ जिले के ग्राम बनी में मंगलवार सुबह किसानों ने फसल बीमा क्लेम में गड़बड़ी को लेकर बड़ा विरोध किया। किसानों ने पेटलावद-राजगढ़ मार्ग पर बैलगाड़ी खड़ी कर सड़क को जाम कर दिया और बीच सड़क पर धरना दे दिया। आंदोलनकारी किसानों का कहना था कि हर साल बीमा की किस्त उनके खातों से काट ली जाती है, लेकिन जब नुकसान की भरपाई का समय आता है तो उचित मुआवजा नहीं मिलता। कई बार तो कुछ किसानों को बेहद कम राशि दी जाती है, जिससे लागत भी पूरी नहीं निकलती।
सूची न मिलने से भड़के किसान
किसानों का गुस्सा इस बात को लेकर और बढ़ा कि प्रशासन ने अब तक बीमा क्लेम की पूरी सूची सार्वजनिक नहीं की। भारतीय किसान यूनियन नेताओं का कहना है कि पिछले महीने हुए आंदोलन के समय सूची जारी करने का आश्वासन मिला था, लेकिन आज तक यह वादा पूरा नहीं हुआ। उनका आरोप है कि बीमा कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए किसानों से राशि काटी जाती है और जब प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद हो जाती है तो किसानों को उनके हक का पैसा नहीं दिया जाता।
अफसर पहुंचे, पर किसान अड़े रहे
चक्काजाम की खबर मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। एसडीओपी, तहसीलदार और थाना प्रभारी ने किसानों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। करीब चार घंटे तक जाम लगा रहा, जिससे आने-जाने वालों को दिक्कत हुई। आखिरकार जनपद अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया और भरोसा दिलाया कि 12 सितंबर को पेटलावद आ रहे मुख्यमंत्री से किसानों का प्रतिनिधिमंडल मिल सकेगा। इसके बाद किसानों ने ज्ञापन सौंपकर आंदोलन समाप्त किया।
किसानों का तर्क
किसानों का कहना था कि यदि सूची सामने आ जाए तो साफ हो जाएगा कि किन्हें कितना क्लेम मिला है और किन्हें वंचित रखा गया है। उदाहरण के लिए, मांडन के किसान रामेश्वर को मात्र 877 रुपए और काकनवानी के वेलजी को सिर्फ 27 रुपए क्लेम के रूप में दिए गए। वहीं प्रशासन का कहना है कि रबी और खरीफ 2023 तथा रबी 2024 की फसलों के लिए लगभग 28.30 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है, जिसमें से केवल पेटलावद तहसील में 21 करोड़ से ज्यादा की राशि बांटी गई। बावजूद इसके कई किसानों को बेहद कम रकम मिलने से असंतोष फैल गया है।
पहले भी हुआ था विरोध
यह विरोध नया नहीं है। 18 अगस्त को भी पेटलावद में इसी मुद्दे पर किसानों ने प्रदर्शन किया था। तब भी यह मांग उठी थी कि बीमा क्लेम की पूरी जानकारी सार्वजनिक की जाए। किसानों का कहना है कि जब तक सभी किसानों को उनके नुकसान के हिसाब से राशि नहीं मिलती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।