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Success Story: रतलाम में साड़ी व्यवसाय के जनक के रूप में जाने जाते हैं मोतीलाल डांगी, आज परिवार बढ़ा रहा विरासत को आगे

 

Success Story: ईमानदारी, सत्यता, मेहनत, लगन, समर्पण एवं सेवा का जज्या लेकर रत्नपुरी की पावन धरा पर अपने व्यवसाय की शुरुआ करने वाले स्वर्गीय मोतीलाल डांगी ने सूरत साड़ी व्यवसाय को केवल व्यवसाय तक सीमित न रखते हुए समाज के उत्थान, नवाचार और आत्मनिर्भरता के लिए अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया। उन्होंने अपने जीवन को मेहनत व लगन से आर्थिक मजबूती प्रदान करते हुए न केवल संपूर्ण परिवार को पैतृक व्यवसाय से जोड़ा बल्कि अपने जीवनकाल में हजारों व्यक्त्तियों को साड़ी का व्यवसाय करना सिखाया। साथ ही उन्हें हर प्रकार का सहयोग एवं प्रेरणा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।

रतलाम को बनाया साड़ियों का हब

जयंतीलाल जी बताते हैं कि 'शुरुआत से ही पित्ताजो मोतीलाल जी डांगी की यही सोच रही है कि रतलाम साड़ियों का हब बने। चाहर के व्यापारी यहां खरीदी पर आए और शहर का विकास हो। उनकी सोच एवं दूर दृष्टि के परिणामस्वरुप अनेक व्यापारी सूरत साड़ी व्यवसाय से जुड़े। परिणाम यह है कि आज देश में रतलाम का नाम साड़ी व्यापार में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। रतलाम साड़ी व्यापार में पिताजी अपने आप में एक ब्रांड है। इसीलिए कई बड़े अवसर पर उन्हें सम्मानित किया गया है।'

साड़ी व्यवसाय में रतलाम का नाम है चहुंओऔर

वर्तमान में मोतीलाल जी डांगी के पुत्र जयंतीलाल डांगी एवं पौत्र सिद्धार्थ डांगी ने उनके नक्शे कदम पर चलते हुए अपने व्यवसाय को शिखर पर पहुंचाया है। आज उनके द्वारा साड़ियों का व्यापार न केवल मध्य प्रदेश बल्कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं गुजरात में भी किया जा रहा है। आने वाले समय में अन्य प्रदेशों तक भी व्यवसाय का विस्तार किया जाएगा। आज डांगी जी साड़ी वाले के नाम से ही यह एक बड़ा ब्रांड बन चुका है क्योंकि रतलाम में सूरत की साड़ी की शुरुआत करने का पूर्ण श्रेय डांगी परिवार को ही जाता है। प्रदेश के लिए गर्व की बात यह है कि रतलाम का नाम साड़ी व्यवसाय में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। इस कड़ी में रतलाम के डांगी परिवार की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।

कपड़ों की फेरी लगाने से की है सफर की शुरुआत

मोतीलाल जी डांगी ने 1933 में लगभग 15 वर्ष की उस में कपड़े की फेरी से अपने सफर की शुरुआत की। रतलाम में उस समय सूरत जाने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था क्योंकि ना आवागमन के साधन थे और ना वहां पर किसी एक जगह मार्केट था। सूरत में उस समय अलग-अलग जगह पर जाकर, साइकिल पर घूमकर खरीदारी की जाती थी। उस विपरीत समय में मोतीलाल जी ने हिम्मत व लगन से अपने व्यवसाय को निरंतर गति प्रदान की। साथ ही उन्होंने अन्य कई लोगों को भी इस व्यवसाय से जोड़ने की प्रेरणा देकर व्यवसाय प्रारंभ करवाया। समय के साथ उनके पुत्र स्वर्गीय रमणिकलाल डांगी, हीरालाल डांगी एवं जयंतीलाल डांगी ने पारिवारिक व्यापार को निरंतर गति प्रदान की। मोतीलाल जी के पुत्र जयंतीलाल डांगी और पौत्र सिद्धार्थ डांगी ने कड़ी मेहनत व ईमानदारी पूर्वक अपने व्यवसाय को शिखर तक पहुंचाया और उसे ब्रांड के रूप में स्थापित किया।

सूरत के सभी ब्रांड की साड़ियां एक ही जगह

जयंतीलाल जी बताते हैं कि वर्तमान में हमारे ब्रांड की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हम बहुत कम मार्जिन में अपना व्यवसाय पूर्ण ईमानदारी के साथ कर रहे हैं। साथ ही व्यवसाय को निरंतर गति भी प्रदान कर रहे हैं। सूरत के करीब-करीब सभी नामी ब्रांड की साड़ियां होलसेल में हमारे यहां सूरत के रेट पर उपलब्ध है। हमारे व्यवसाय का प्रमुख लक्ष्य ही ईमानदारी, गुणवत्ता, परफेक्ट नीति है। सभी ग्राहकों को एक समान समझा जाता है ताकि सभी को एक रेट पर साड़ी उपलब्ध करवाई जा सके।

अच्छे सेल के आगे मार्जिन मायने नहीं रखता

रिया फैशन के प्रोपराइटर जयंतीलाल डांगी का कहना है कि व्यापार करने में अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी चुनौती आज के इस आधुनिक युग में प्रतिस्पर्धा की है। होलसेल में माल 2 से 4 प्रतिशत मुनाफे में बिकता है क्योंकि रतलाम साड़ी का हब बन चुका है और आगे भी यहां अपार संभावनाएं है। हालांकि यह भी सच है कि अच्छे सेल के आगे मार्जिन मायने नहीं रखता है। बाकी व्यक्ति हर चुनौती का सामना धैर्य व शालीनता से कर सकता है।

ग्राहकों के विश्वास पर सदा से उतरे हैं खरे

सिद्धार्थ डांगी बताते हैं कि हमारे व्यवसाय की सबसे बड़ी ताकत है हमारा नाम'। ग्राहकों को हम पर पूरा विश्वास है और हम उनके विश्वास पर पूर्ण खरे उतरते हैं। व्यवसाय की नींव ही सत्यता, पारदर्शिता और प्रमाणिकता पर टिकी हुई है और हम ग्राहकों की हर डिमांड को पूर्ण करने का प्रयास करते हैं। हमें गर्व है कि ग्राहकों का पूर्ण विश्वास आज रिया फैशन पर है और यही हमारे व्यापार की सबसे बड़ी ताकत है।