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जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी से गर्भवती और मरीज परेशान

 

Dhaar News: धार जिले के जिला अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा होने के बावजूद अधिकांश मरीज इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली होना है। अस्पताल में इमरजेंसी में स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं की ही सोनोग्राफी करते हैं, जबकि सामान्य मरीजों की जांच नहीं हो पा रही।

2022 में रेडियोलॉजिस्ट के सेवानिवृत्त होने के बाद यह पद स्थायी रूप से खाली है। कुछ समय के लिए बांडेड डॉक्टरों ने यह सेवा प्रदान की थी, लेकिन पिछले छह माह से उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है, जिससे सुविधा फिर से बाधित हो गई है।

सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को हो रही है। प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना के तहत निजी सेंटरों पर सोनोग्राफी की सुविधा तो दी गई है, लेकिन पिछले डेढ़ माह से क्यूआर कोड जनरेट नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ ही सोनोग्राफी कर रहे हैं। लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी और ऑपरेशन के कारण कई बार गर्भवती महिलाएं घंटों इंतजार करने के बाद भी सोनोग्राफी नहीं करा पाती हैं। कभी-कभी स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि उन्हें 4 से 5 दिन तक इंतजार करना पड़ता है।

प्रतिदिन सुबह 9 बजे से यहां 50 से अधिक गर्भवती सोनोग्राफी के लिए आती हैं। इमरजेंसी ड्यूटी पूरी करने के बाद डॉक्टर सोनोग्राफी करते हैं, लेकिन कई बार 20 से 25 महिलाओं की जांच अगले दिन के लिए शिफ्ट हो जाती है।

दूसरी ओर सामान्य मरीजों के लिए सोनोग्राफी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। पेट और अन्य बीमारियों से ग्रसित 200 से अधिक मरीज अस्पताल में उपचार के लिए आते हैं, जिनमें 30 से 40 मरीजों को सोनोग्राफी की सलाह दी जाती है। जिला अस्पताल में यह सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें निजी सेंटरों पर जाना पड़ता है, जहां 1,000 से 1,500 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

सिविल सर्जन का कहना है कि लंबे समय से रेडियोलाजिस्ट की मांग की जा रही है और भोपाल को पत्राचार भी किया गया है। यदि स्थायी रेडियोलाजिस्ट की नियुक्ति हो जाए तो गर्भवती और अन्य मरीजों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो जाएगा।

इस समय जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ ही गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी कर रही हैं, लेकिन इमरजेंसी की वजह से कई महिलाओं को लंबे इंतजार के बाद जांच करवानी पड़ रही है।