Dhaar News: बच्चों की मजबूरी: पानी के लिए 2 किमी चलकर लाना, मवेशियों के लिए हौज भरना पड़ रहा है
Dhaar News: शहर सहित जिले में जलसंकट की स्थिति बनी है। सबसे ज्यादा स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में खराब है। कई गांव के लोग तो दो से तीन किमी दूर से पानी ला रहे है। वहीं कुछ लोग दैनिक उपयोग के लिए मवेशियों के होज से पानी भरने को मजबूर है। जिले में पेयजल के लिए 824 नलजल योजनाएं है। इनमें से 53 बंद है। क्योंकि पानी के लिए जलस्रोत उपलब्ध नहीं है। वहीं पीएचई विभाग दावा कर रहा है कि 771 नल जल योजनाएं चालू है। लेकिन कई जगह ये स्थिति है कि लोगों के सप्ताह में एक दिन पानी मिल रहा है। कई जगह दो से तीन दिन में मिल रहा है।
बदनावर क्षेत्र के ग्राम खिलेड़ी में 78 लाख रुपए से नल जल योजना का काम तो पूरा हो चुका है, लेकिन ठेकेदार ने न तो नलों में टोटियां लगाई हैं और न ही नल के लिए स्टैंड बनाए हैं, जिनके कारण योजना को पंचायत ने हैंडोवर ही नहीं किया है। इसके कारण ग्रामीण पानी के लिए परेशान हो रहे है। ग्रामीण रेवा शंकर ने बताया कि 7-8 दिनों में पानी आता है। पूरे गांव में पानी की समस्या है। ग्रामीणों ने बताया कि वे लोग खेतों से पानी लेकर आते हैं। जिससे उनका जीवन यापन चल रहा है। कई बार सीएम हेल्पलाइन से लेकर अधिकारियों तक से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। पीएचई के ईई एचएस बामने ने बताया कि जिले में 53 योजनाएं स्रोत में पानी न होने के कारण बंद हैं। बाकी चल रही हैं। वहीं फुलेड़ी, पाना, पांदा, टकरावदा, इंद्रावलख, चिराखान सहित अन्य गांवों में भी जलसंकट की स्थिति बनी है।
सुबह उठते ही पानी तलाशने निकल जाते हैं
ग्राम पंचायत आली के ग्रामीण इन दिनों पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं। करीब चार माह से अधिक हो चुके हैं, पीने के पानी को लेकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं। सुबह उठने से ही लोग पानी की तलाश में घर से निकल जाते हैं। कोई निजी नलकूपों से तो कोई अन्य पानी के स्रोतों से पानी की व्यवस्था करते हैं। करीब एक से दो किलोमीटर दूर जाकर पीने के पानी के लिए लोग परेशान होते हैं। ग्राम पंचायत के सरपंच राहुल राणा ने बताया कि जल स्तर में कमी के कारण फरवरी माह से ही पेयजल संकट बना हुआ है। उन्होंने इस संबंध में जनपद पंचायत में भी जानकारी दी है दो नल कूप खनन करवाए गए, लेकिन पानी नहीं निकल पाया।
क्रिटकल जोन में है धार
जल संकट के हिसाब से धार जिला क्रिटिकल जोन में आता है। विभाग के अनुसार जिले में अधिकांश आबादी भूजल पर ही निर्भर रहती है। इसके कारण जिले में भूजल का दोहन किया जाता है। बारिश में पानी 10 मीटर तक आ जाता है, लेकिन इसके बाद लगातार नीचे खिसकता रहता है। वर्तमान में जिले में औसतन 35 मीटर जल स्तर है। जिसके कारण 8 हजार से ज्यादा ट्यूबवेल दम तोड़ चुके हैं। जिले में साढ़े 35 हजार ट्यूबवेल और बोर हैं। जिले के 52 हजार कुओं में से 10 हजार के करीब सूख गए हैं। गहरे कुओं में ही तलहटी में पानी है। 480 में से अधिकांश सूख गए।