{"vars":{"id": "115716:4925"}}

छह दिन में मंडी में 10 हजार क्विंटल सोयाबीन पहुंचा, किसानों में मायूसी

 

Dhaar News: अक्टूबर-सितंबर के बीच मंडी में सोयाबीन की नई फसल की आवक तेज हुई है, लेकिन किसानों को जो भाव मिल रहे हैं वे उन्हें संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं। बीते छह दिनों के दौरान मंडी में लगभग दस हजार क्विंटल सोयाबीन का स्टॉक आया, जिसमें नए साथ-साथ पुराने सीजन का माल भी शामिल था। नीलामी के दौरान भाव 2,500 से 3,500 रुपए प्रति कुंतल के बीच देखने को मिले, जिससे कई किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है और वे आर्थिक दबाव में हैं।

किसानों ने बताया कि बारिश के कारण कई खेतों में उपज प्रभावित हुई है और अभी जब कटाई कर मंडी लाया जा रहा है तो खरीदारों की तरफ से अनुरूप रेट नहीं मिल रहे। कुछ किसानों ने बताया कि मंडी में नीलामी के बाद दाम कम होने से उन्होंने उपज बेचे बिना ही घर वापसी कर ली। कई किसानों ने कहा कि वे मेहनत व लागत के हिसाब से भी घाटे में जा रहे हैं और कर्ज चुकाने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं। कई किसानों के पास बैंक व लेनदारों के ब्याज सहित बकाया है, जिसे कम दाम मिलने पर चुकाना कठिन हो रहा है।

वहीं व्यापारियों का कहना है कि सोयाबीन के दामों में नरमी का कारण सोया प्‍लांटों में माल का उठाव न होना और मांग में फिलहाल गिरावट है। व्यापारियों ने यह भी बताया कि कुछ स्थानों पर कटाई अभी शुरू हुई है इसलिए आवक धीरे-धीरे बढ़ेगी और बाजार में आपूर्ति में भी बदलाव आएगा, पर तब तक दामों में तेजी की गारंटी नहीं दी जा सकती। पुराने सीजन के कुछ बैचों के भाव 4,000 से 4,200 रुपए प्रति कुंतल तक मिलते देखे गए, पर नई फसल के शुरुआती रेट अपेक्षाकृत कम रहे।

मंडी प्रभारी ने बताया कि छह से आठ दिनों में हुई आवक और बिक्री का पूरा रिकार्ड रखा जा रहा है और प्रतिदिन औसतन कई दर्जन किसान उपज लेकर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 10 से 16 सितंबर के बीच करीब 10 हजार क्विंटल की आवक दर्ज हुई और आने वाले दिनों में आवक बढ़ने की संभावना है। प्रभारी ने किसानों से अपील की है कि वे मंडी की नीलामी प्रक्रिया का सहारा लें और संभव हो तो उपज बेचने से पहले मार्केट की स्थिति पर नजर रखें ताकि बेहतर रेट मिल सके।

किसानों की माँग है कि सरकार हस्तक्षेप कर न्यूनतम समर्थन मूल्य या वैकल्पिक खरीद व्यवस्था सुनिश्चित करे ताकि किसान को उसकी लागत व उपयुक्त मुनाफा मिल सके। स्थानीय किसान संगठन और प्रतिनिधि मंडल जल्द ही प्रशासन से मिलकर स्थिति पर चर्चा करने और त्वरित राहत के उपाय सुझाने की योजना बना रहे हैं ताकि इस मौसमी अनिश्चितता से किसान अधिक प्रभावित न हों।