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Commonwealth Games : राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए भारत तैयार, केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी 

भारतीय ओलिंपिक संघ (आइओए) के सहमति जताने के कुछ दिन बाद ही यह फैसला आया है। भारत ने मार्च में ‘एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट’ दाखिल किया था और अब 31 अगस्त तक औपचारिक बोली लगाई जाएगी।
 

वर्ष 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए भारत तैयार है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रमंडल खेलों में वर्ष 2030 में भारत में करवाने के लिए बोली को मंजूरी दी। विश्वस्तरीय स्टेडियम, अत्याधुनिक अभ्यास सुविधाएं और खेल संस्कृति के कारण अमदाबाद को आदर्श आयोजन स्थल के रूप में नामित किया गया है।

भारतीय ओलिंपिक संघ (आइओए) के सहमति जताने के कुछ दिन बाद ही यह फैसला आया है। भारत ने मार्च में ‘एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट’ दाखिल किया था और अब 31 अगस्त तक औपचारिक बोली लगाई जाएगी। अंतिम फैसला इस साल नवंबर में ग्लासगो में होने वाली कामनवेल्थ स्पोर्ट्स की आम सभा में होगा। कनाडा के वित्तीय कारणों से दौड़ से हटने के बाद भारत की दावेदारी और मजबूत मानी जा रही है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने क बाद आइओए को अगले 48 घंटे में सभी औपचारिकताएं पूरी करने की उम्मीद है। भारत ने आखिरी बार 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की थी।

बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने राष्ट्रमंडल खेल 2030 की दावेदारी के युवा कार्य और खेल मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने संबंधित मंत्रालयों, विभागों और प्राधिकरणों से आवश्यक गारंटियों के साथ मेजबान सहयोग समझौते (एचसीए) पर हस्ताक्षर करने और बोली स्वीकार होने की स्थिति में गुजरात सरकार को आवश्यक अनुदान सहायता की मंजूरी देने को भी मंजूरी दे दी।

खेलों के साथ मजबूत होगी अर्धव्यवस्था

राष्ट्रमंडल खेलों में 72 देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं और केंद्र सरकार का मानना है कि 2030 राष्ट्रमंडल खेलों से न केवल खेलों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यटन, रोजगार और स्थानीय व्यवसाय को भी बड़ा लाभ होगा। यह आयोजन राष्ट्रीय गौरव की भावना को मजबूत करेगा और युवाओं को खेलों को करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

इसके अलावा खेल विज्ञान, इवेंट प्रबंधन, लाजिस्टिक और परिवहन समन्वयक, प्रसारण और मीडिया, आइटी, संचार और जनसंपर्क जैसे कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों को मौका मिलेगा। इससे देश का मनोबल बढ़ेगा। इससे नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को करियर के विकल्प के तौर पर खेलों में हाथ आजमाने की प्रेरणा मिलेगी और सभी स्तरों पर खेलों में भागीदारी बढ़ेगी।