{"vars":{"id": "115716:4925"}}

सिंधु जल संधि स्थगित करने के बाद बांधों की ऊंचाई बढ़ाकर इन राज्यों को दिया जाएगा पानी

 

अन्य राज्यों में पानी ले जाने को 113 किलोमीटर लंबी नहर बनेगी, इसका बड़ा हिस्सा सुरंगों में होगा।

केंद्र सरकार ने सिंधु जलसंधि को

स्थगित करने के बाद चिनाब नदी पर निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं में बदलाव की संभावनाओं पर काम शुरू कर दिया है। प्रस्तावित बदलाव में बांधों की ऊंचाई बढ़ाने व स्लुइस गेट का निर्माण शामिल है, ताकि जलाशयों में अधिक पानी जमा करने के साथ नीचे की ओर जल प्रवाह नियंत्रित किया जा सके। जम्मू में रणबीर नहर की लंबाई को 60 से 120 किमी तक विस्तार देने के साथ केंद्र ने सिंधु व चिनाब के पानी को पंजाब-हरियाणा-राजस्थान तक पहुंचाने के लिए 113 किमी लंबी नहर बनाने की योजना पर भी काम शुरू कर दिया है। नहर का बड़ा हिस्सा भूमिगत (सुरंग) होगा। सरकार ने नहर का काम तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि जलशक्ति मंत्रालय की तरफ से पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में रतले, किरू, क्वार व पकल दुल जलविद्युत परियोजनाओं के निष्पादन में जुटी एजेंसियों को संबंधित परियोजनाओं की निर्माण योजना में अपेक्षित बदलाव की संभावनाओं पर काम करने को कहा गया है।

इन परियोजनाओं की डिजाइन व ड्राइंग में जरूरी संशोधन पर काम चल रहा है। इसके बाद ही पता चलेगा कि किस परियोजना के बांध की कितनी ऊंचाई बढ़ेगी और कहां कितने स्लुइस गेट बनाए जाएंगे।

किस बांध की कितनी बढ़ेगी ऊंचाई

सूत्रों ने बताया कि 850 मेगावाट क्षमता वाली रतले जलविद्युत परियोजना के लिए बांध की ऊंचाई 133 मीटर तय की गई है, जिसे 15 मीटर तक और बढ़ाया जा सकता है। एक हजार मेगावाट की क्षमता वाली पकल दुल परियोजना के बांध की ऊंचाई पहले ही 167 मीटर रखी गई है। इसे और बढ़ाया जाएगा।

540 मेगावाट की क्षमता वाली क्वार परियोजना के बांध की ऊंचाई भी बढ़ाने का प्रस्ताव है।

अगर किसी परियोजना के बांध की ऊंचाई नहीं बढ़ाई जाएगी तो वह 634 मेगावाट की किरू परियोजना है। क्योंकि यहां बांध का काम 50 प्रतिशत से ज्यादा पूरा हो चुका है। किस बांध की कितनी ऊंचाई बढ़ेगी और किस योजना में कितने स्लुइस गेट बनेंगे, यह अंतिम ड्राइंग प्राप्त होने के बाद ही तय हो पाएगा। फिलहाल, सुरंग व अन्य कार्यों को रोका गया है और बांधों के निर्माण पर जोर देने के लिए कहा गया है। बांधों की ऊंचाई बढ़ने से संबंधित जलाशयों का भी विस्तार होगा, उनमें पानी ज्यादा जमा होगा।

चिनाब को रावी, ब्यास, सतलुज नदी प्रणाली से जोड़ेगी नहर

जम्मू-कश्मीर से पानी को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक ले जाने के लिए 113 किमी लंबी नहर के निर्माण की योजना पर भी केंद्र ने काम शुरू कर दिया है। नहर चिनाब नदी को रावी-ब्यास-सतलुज नदी प्रणाली से जोड़ेगी। चिनाब-रावी-ब्यास-सतलुज लिंक परियोजना को इस हिसाब से बनाया जाएगा कि यह जम्मू, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में 13 स्थानों पर मौजूदा नहर संरचनाओं को जोड़ सके और इंदिरा गांधी नहर (सतलुज-ब्यास) में पानी ला सके। योजना के जरिए पंजाब व जम्मू-कश्मीर में नहर व सुरंगों के जरिए वाटर सप्लाई नेटवर्क मजबूत किया जाएगा।


अब बाध्य नहीं है भारत

सिंधु जलसंधि के कारण भारत सरकार चिनाब पर बांध व जलविद्युत परियोजनाएं तो बना सकती थी, पर बांध की ऊंचाई एक निश्चित सीमा तक ही रख सकती थी। पाकिस्तान अगर आपत्ति जताए तो निर्माण योजना में फेरबदल भी किया जा सकता था, लेकिन सिंधु जलसंधि को स्थगित करने के बाद भारत सरकार अब पाकिस्तान की सहमति के लिए बाध्य नहीं है।