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देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की कहानी, शायद आपको नहीं मालूम

 

देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई यानी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का गठन कब और किन हालात में हुआ, शायद आपको पता नहीं है। आज सभी काे इस बैंक की पहचान और इसके महत्व के बारे में पता है। क्या आपको इससे पहले इसके बारे में पूरी जानकारी थी। यदि​ थी तो हमें जरूर बताएं। आज हम आपको करवाते है स्टेट बैंक से रूबरू। इसका गठन कैसे और कब हुआ। साथ ही हम यह भी बताएंगे कि यह सरकारी बैंक इतना बड़ा बैंक कैसे बन गया।


पहले थी कुछ और पहचान
आपको मालूम है कि भारतीय स्टेट बैंक की पहचान कुछ और थी। यह बैंक एसबीआई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नाम से नहीं जाना जाता था। एसबीआई के नाम से जुड़ा एक अनोखा इतिहास है। भारतीय स्टेट बैंक, आजादी से पहले और बाद तक, एक निजी बैंक था। इसे इंपीरियल बैंक के नाम से जाना जाता था। 1955 में इसका नाम बदलकर भारतीय स्टेट बैंक कर दिया गया और इसका राष्ट्रीयकरण करते हुए इसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में बदल दिया गया। एक और खास बात यह है कि इंपीरियल बैंक भी तीन बैंकों के मर्ज होने से बना था। इंपीरियल बैंक बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास के संगठन से बना था। इन बैंकों का गठन 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश इंडिया के दौरान हुआ था।


1921 में बना था इंपीरियल बैंक
देश के आजाद होने से पहले जनवरी 1921 में इंपीरियल बैंक का गठन किया गया था। इसमें बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बॉम्बे तथा बैंक ऑफ मद्रास को मिलाकर बनाया था। जो एक अखिल भारतीय बैंक था। आजादी के बाद एक जुलाई 1955 को इंपीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण हो गया और यह भारतीय स्टेट बैंक के नाम से जाना गया। 1959 में भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम के पारित होने के साथ, राज्य से जुड़े आठ पूर्व बैंक भी इसके सहायक बन गए। बाद में धीरे-धीरे इनका भी एसबीआई में मर्जन हो गया। जब भारत को आज़ादी मिली, तो इंपीरियल बैंक के पास कुल कैपिटल बेस 11.85 करोड़ रुपये था। डिपॉजिट और एडवांस 275.14 करोड़ रुपये और 72.94 करोड़ रुपये था। इस बैंक की देशभर में कुल 172 शाखाएं थी और 200 से ज्यादा सब ऑफिस थे।


अब भारतीय स्टेट बैंक की लेटेस्ट फाइनेंशियल वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, बैंक की कुल संपत्ति ₹70.415 है।