सोया तेल हुआ सस्ता, आयात बढ़ने से पाम तेल में मंदी
इंदौर में खरीफ कालीन तिलहन फसलों की सरकारी खरीद का अभियान समाप्त होने तथा रबी कालीन तिलहन फसलों की आपूर्ति का पीक सीजन लगभग बीत जाने के बाद केन्द्र सरकार ने स्वदेशी उद्योग की मांग को स्वीकार करते हुए क्रूड श्रेणी के पाम तेल, सोया तेल तथा सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को 20 प्रतिशत से आधा घटाकर 10 प्रतिशत निर्धारित कर दिया।
इससे विदेशी खाद्य तेलों का आयात सस्ता होगा और रिफाइनर्स को अपने रिफाइंड खाद्य तेल का उच्चतम खुदरा मूल्य कुछ घटाने का अवसर मिल जाएगा। सरकार की इस नीति से आम उपभोक्ताओं को खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों से राहत मिली है। इस बीच खाद्य तेलों का और खासकर पाम तेल का आयात मई में बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
बताया जा रहा है कि सरकार ने यह निर्णय पिछले दिनों खाद्य तेलों के दाम में अचानक तेजी-मजबूती का माहौल बनने लगा था क्योंकि विदेशों से पिछले पांच महीनों से इसका सीमित आयात हो रहा था जिससे बंदरगाहों पर और पाइप लाइन में इसका स्टॉक काफी घट गया था। मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में क्रूड पाम ऑयल के भाव में हल्की नरमी रही। अगस्त 2025 का बेंचमार्क कॉन्ट्रैक्ट सीमित कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ती वेजिटेबल ऑयल सप्लाई, क्रूड ऑयल की कमजोर कीमतों का अनुमान और सीजनल उत्पादन में बढ़ोतरी से मार्केट सेंटीमेंट सतर्क बना हुआ है। उद्योग- व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि मई में पाम तेल का आयात बढ़कर 6 लाख टन के आसपास पहुंच गया जबकि जून- जुलाई में आयात और भी बढ़ सकता है।
दरअसल भारत को पाम तेल का आयात बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हो रही थी क्योंकि पिछले पांच महीनों से आयात कम होने के कारण भारतीय बंदरगाहों पर एवं पाइप लाइन में इसका स्टॉक घटकर काफी नीचे आ गया था । मई के बेहतर आयात से हालात सुधरने की उम्मीद है। सोयाबीन तेल में मंदी छाई हुईहै।