आरबीआई ने दिया तोहफा, एक करोड़ पर सालाना होगी 39,396 रुपए की बचत
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बड़ी कटौती कर इसे 6 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत करने की घोषणा की। एक साल में लगातार तीसरी बार रेपो रेट के कटौती की गई है। रिजर्व बैंक के इस कदम से प्लोटिंग रेट पर कर्ज लेने वालों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इस फैसले से एक करोड़ रुपए के लोन पर हर माह ब्याज के रूप में 3283 रुपए और सालाना 39,396 रुपए की बचत होगी।
आरबीआइ गवर्नर ने सीआरआर में 100 आधार अंकों की कटौती की भी घोषणा की, जो 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से 25 आधार अंकों की चार बराबर किस्तों में प्रभावी होगी। जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण और घरेलू मांग के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था निवेशकों के लिए अपार अवसर प्रदान कर रही है।
रिजर्व बैंक की इस घोषणा का शेयर बाजार ने स्वागत किया और सेंसेक्स में बड़ा उछाल देखा गया। केंद्रीय बैंक के इस कदम से बैंकिंग सिस्टम में 2.5 लाख करोड़ रुपए आने की उम्मीद है, जिससे लिक्विडिटी बढ़ेगी और क्रेडिट फ्लो को सपोर्ट मिलेगा।
कम नीतिगत दर से बैंक ऋणों पर ब्याज दर में कमी आती है, जिससे उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यवसायों के लिए भी उधार लेना आसान हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक खपत व निवेश होता है और उच्च विकास सुनिश्चित होता है। हालांकि, कटौती का असर इसपर निर्भर करेगा कि बैंक किस हद तक ब्याज कम करता है।
आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि इस साल फरवरी से अब तक रेपो दर में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है और इसलिए मौद्रिक नीति रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया गया है। इससे आरबीआइ समग्र विकास-मुद्रास्फीति गतिशीलता पर कड़ी नजर रख सकेगा। कीमतों में व्यापक आधार पर नरमी के बीच मुद्रास्फीति दर अब घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है।
इसके साथ ही, आरबीआइ ने मुद्रास्फीति दर के अपने अनुमान को भी 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है। वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है।
सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था
आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत अब भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। कॉरपोरेट, बैंक और सरकार की बैलेंस शीट मजबूत बनी हुई है। बाहरी क्षेत्र स्थिर है, जो अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियादी बातों को दर्शाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर प्रदान कर रही है।