अनिल अंबानी की कंपनी कैसे डूबी, जिसने दी थी Airtel-Idea को टक्कर
Indian Telecom History: साल 2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद उनके बेटों मुकेश और अनिल अंबानी के रास्ते अलग हो गए। बंटवारे में अनिल अंबानी को रिलायंस इंफोकॉम मिली, जिसने 2003 में टेलिकॉम सेक्टर में धूम मचा दी थी। कंपनी ने "मानसून हंगामा" नाम से सिर्फ ₹501 में मोबाइल फोन और सस्ती कॉल दरों के साथ जबरदस्त ऑफर पेश किया, जिससे आइडिया और एयरटेल जैसी कंपनियों को कड़ी टक्कर मिली। वीरेंद्र सहवाग के "कर लो दुनिया मुट्ठी में" वाले ऐड ने कंपनी की पहचान और मजबूत की।
रिलायंस इंफोकॉम, जो आगे चलकर रिलायंस कम्युनिकेशन बनी, एक समय देश की टॉप टेलिकॉम कंपनियों में शामिल थी। लेकिन अनिल अंबानी की लीडरशिप में कंपनी का धीरे-धीरे पतन शुरू हुआ। कंपनी ने अपने विस्तार और स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए भारी कर्ज ले लिया। समय के साथ यह कर्ज कंपनी पर भारी पड़ने लगा।
2016 में जब मुकेश अंबानी ने सस्ती 4G सेवाओं के साथ रिलायंस जियो लॉन्च किया, तो रिलायंस कम्युनिकेशन की हालत और बिगड़ गई। जियो की आक्रामक रणनीति से RCom के 2G और 3G नेटवर्क को तगड़ा झटका लगा। कंपनी ने खुद को संभालने की कई कोशिशें कीं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। अंततः 2019 में भारी नुकसान और कर्ज न चुका पाने के कारण कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया। जो कंपनी कभी भारत की टॉप टेलिकॉम कंपनियों में थी, वो धीरे-धीरे पूरी तरह से बंद हो गई।