Gold Silver Rate Hike: लगातार दमक रहे सोना-चांदी, आठ माह में दिया 36% व 42% तक रिटर्न
Gold Silver Price Update: दुनिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की दहशत के बीच सोना-चांदी निवेश के सबसे भरोसेमंद विकल्प बनकर उभर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सोने ने इस साल अब तक 8 माह में करीब 36% तक और चांदी ने करीब 42% तक रिटर्न दिया है। यानी इन 8 महीनों में चांदी सोने से काफी आगे निकल गई है।
अगर रुपये में बात करें तो चांदी 37,281 रुपये प्रति किलोग्राम महंगी हुई है। वहीं, सोना 27,976 रुपये प्रति 10 ग्राम महंगा हुआ है। जानकारों का कहना है कि इस साल के आखिरी तक रिटर्न के मामले में चांदी सोने को बहुत पीछे छोड़ सकती है। सोने लगातार बढ़ती कीमतों के बीच लोगों को अब इसमें प्लानिंग तहत निवेश करना होगा। वरना यह झटका भी दे सकता है।
हालांकि कहा जाता है कि सोना पुराने समय से ही भरोसे का निवेश रहा है। सोने-चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। बीते एक साल में गोल्ड और सिल्वर पर आधारित ज्यादातर ईटीएफ ने भी 40% से ज्यादा एवरेज रिटर्न दिया है। निवेशकों के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तेजी के बाद अब भी सोने-चांदी में निवेश करना सही रहेगा? और अगर हां, तो किस तरीके से।
सोने-चांदी की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर
सोने-चांदी की कीमतें नई ऊंचाइयां छु रही हैं। इनका असर ईटीएफ पर भी पड़ा है। पिछले 12 महीनों में गोल्ड इंटीएफ ने औसतन 40.44% का रिटर्न दिया है। इस दौरान 15 बोल्ड इंटीएफ मार्केट में एक्टिव रहे, जिनमें टाटा गोल्ड ईटीएफ ने सबसे ज्यादा 40.76%, आईसीआईसीआई पूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ ने 40.74% और आदित्य बिरला सनलाइफ गोल्ड ईटीएफ ने भी 40.67% का मजबूत रिटर्न दिया।
क्यों बढ़ रही है सोने-चांदी की चमक
जानकारों के मुताबिक सोने और चांदी की कीमतों में यह उछाल जियो-पोलिटिकल टेशन टैरिफ को लेकर जारी उथल-पुथल और इंडस्ट्रयल डिमांड की वजह से आया है. खासतौर पर सिल्वर की डिमांड सेमीकंडक्टर, सोलर पैनल, इलेवट्रिक व्हिकल (ईवी) और कीन टेक्नोलॉजी में ज्यादा हो रही है। यही वजह है कि चांदी 10 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंची है। सोना पारंपरिक रूप से एक डिफेसिव एसेट माना जाता है, जो बाजार में अनिश्चितता और डर के समय निवेशकों को सुरक्षा देता है। यहीं कारण है कि हर अस्थिर दौर में सोने की कीमतें ऊपर जाती है।
पोर्टफोलियो में कितना हो गोल्ड-सिल्वर का हिस्सा
आपके पोर्टफोलियों में सोने-चांदी की हिस्सेदारी 10-20% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बाकी निवेश इक्विटी और डेट में होना चाहिए। आमतौर पर 80:20 का इक्विटी डेट रेशियो संतुलित माजा जाता है. और सेना सिल्चर इसमें हेजिंग यानी रिस्क से बचाने का काम करते हैं। इसका मतलब है कि गोल्ड और सिल्वर आपको लगातार ऊचा रिटर्न नहीं देंगे, लेकिन आपके पोर्टफोलियो को अस्थिरता से बचाने और डाइवसिंफिकेशन देने का काम करेंगे।
ईटीएफ और एसआईपी के जरिये निवेश बेहतर
सोने-चांदी की मौजूदा ऊंची कीमतों पर एकमुश्त निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। बेहतर है कि निवेशक एसआईपी (एसआईपी) के जरिए धीरे-धीरे इनमें पैसा लगाएं। इससे कीमतों के उतार-चढ़ाव की एवरेजिंग हो जाती है और लंबी अवधि में बेहतर नतीजे मिलते हैं। ईटीएफ सोने-चांदी में निवेश का सबसे आसान और ज्यादा पारदर्शी तरीका है। ओल्ड ईटीएफ में हर यूनिट आम तौर पर 1 वग्राम सोने की वैल्यू को बताती है। इन्हें आप डिमेट अकाउंट के जरिए शेयरों की तरह खरीद-बेच सकते हैं सिल्वर ईटीएफ भी इसी तरह काम करते है।
निवेशकों के लिए क्या है सही रणनीति
अगर आप सोने चांदी में निवेश करना चाहते हैं तो इसे स्पेक्युलेटिव यानी सट्टे नजरिए से नहीं बल्कि एसेट एलोकेशन के नजरिए से देखें। यह लंबे समय में आपके पोर्टफोलियो को स्टेबल और सुरक्षित बनाते हैं। पोर्टफोलियों में गोल्ड और सिल्वर की हिस्सेदारी 10-20% तक्क रखें। एकमुश्त निवेश की बजाय एस आईपी से धीरे धीरे खरीदें ईटीएफ को प्रायोरिटी दें क्योंकि वे पारदर्शी आसान और लिक्विड होते हैं। अगर प्रोफेशनल मैनेजमेंट चाहिए तो मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड भी विकल्प हो सकते हैं
सावधानी से बढ़ाएं कदम
सोने-चांदी में तेजी के बावजूद निवेशकों को सावधानी से कदम बढ़ाना चाहिए। यह सही है कि हाल में इंटीएफ ने 40% तक का रिटर्न दिया है. लेकिन भविष्य में इनका रोल मुख्य रूप से पोर्टफोलियो को स्टेबल रखने और जोखिम कम करने का रहेगा। सही रणनीति यही है कि इन्हें लंबी अवधि के लिए एसेट एलोकेशन का हिस्सा बनाएं, न कि शॉर्ट टर्म मुनाफे के लिए। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 की पहली छमाही में सोने में जो तेजी देखी गई है, वह लंबी खिंच सकती है और अब नाई खरीदारी से बचना चाहिए, क्योंकि कीमतें पहले से ही काफी ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।