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चार साल के निचले स्तर पर कच्चे तेल की कीमत, भारत को मिली मजबूती

 

crude oil:कच्चे तेल की कीमतें इस समय अपने चार साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इससे भारत की वित्तीय ​स्थिति मजबूत हो रही है क्योंकि भारत कच्चे का आयात करता है। इस समय 60 डॉलर प्रति बैरल का रेट चल रहा है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। ऐसे में सरकार उत्पाद कर बढ़ाकर अपना राजस्व बढ़ा सकती है। इसका असर आम आदमी पर नहीं पड़ेगा। 


इस समय वै​श्विक बाजार में अनि​श्चितता का माहौल है। इसी कारण कच्चे तेल की कीमतों में कमी हो रही है। कच्चे तेल की कीमत इस समय 60 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है तो कच्चे तेल की गिरती कीमतों का भारत को बड़ा फायदा होगा। इससे भारत की वित्तीय क्षमता बढ़ेगी। कच्चे तेल की गिरती कीमतें भारत की विकास दर यानी जीडीपी को प्रभावित करेंगे। कच्चे तेल की कीमतें भी भारत के लिए अहम होती हैं। 


एक महीने में ही बड़ी गिरावट
यदि हम पिछले एक महीने की बात करें तो कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की कमी आई है। इससे भारत का आयात बिल कम हुआ है और राजस्व में बढ़ौतरी हुई है। भारत के आयात बिल में पेट्रोलियम आयात की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है और हर साल पेट्रोलियम आयात बिल बढ़ता जा रहा है। वित्तवर्ष 2024-25 में पेट्रोलियम वस्तुओं का आयात 185 अरब डॉलर का रहा। ऐसे में अब इसमें कमी आने की संभावना है।


विदेशी मुद्रा भंडार में हो रहा मजबूत
भारत का कुल वस्तु आयात 720 अरब डॉलर का था। वित्तवर्ष 2023-24 में पेट्रोलियम आयात 178 अरब डॉलर था। पिछले साल कच्चे तेल की कीमत 71-85 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर थी। इस हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2025-26 में पेट्रोलियम आयात बिल में कमी आना तय है। इससे भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में को मजबूती मिल रही है। यदि इसी प्रकार से कच्चे तेल की कीमतों में कमी आती रही तो भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत हो जाएगी। 


एक बार फिर उत्पाद शुल्क में होगी बढ़ोतरी
पिछले कई महीनों से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आ रही है। इसी कारण पिछले महीने ही भारत सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में दो-दो रुपये की बढ़ोतरी की थी।  अब एक बार फिर से सरकार उत्पाद शुल्क को बढ़ा सकती है क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें कम होकर 60 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं। यदि सरकार एक-एक रुपया उत्पाद शुल्क बढ़ाती है तो सरकार के राजस्व में 1600 करोड़ रुपये सालाना की वृद्धि होती है। 


सरकार ने 9 बार बढ़ाया था शुल्क
यदि हम वर्ष 2014 से 2016 की बात करें तो भारत सरकार इन इस दौरान 9 बार पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था। वर्ष 2015 में उत्पाद कर से सरकार को 90 हजार करोड़ रुपये तथा 2017 में 2.42 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिला था।