काटन के भाव में उछाल, सीसीआई ने 9200 गांठ काटन की बिक्री की
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने सोमवार को 9,200 गांठ, में एक गांठ-170 किलो कॉटन की म बिक्री घरेलू बाजार में की। निगम ने फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई 6,200 गांठ की बिक्री जहां स्पिनिंग मिलों को की, वहीं 3,000 गांठ की खरीद व्यापारियों ने की।
सूत्रों के अनुसार सीसीआई चालू फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई कुल 29,90,800 गांठ कॉटन की बिक्री कर चुकी है, जोकि चालू सीजन में कुल खरीदी गई कॉटन का लगभग 29.90 फीसदी है। निगम ने इस दौरान सबसे ज्यादा कॉटन महाराष्ट्र में 14.41 लाख गांठ, तेलंगाना में 6.55 लाख गांठ तथा गुजरात में 4.45 लाख गांठ की बिक्री है।
इसके अलावा सीसीआई ने मध्य प्रदेश में 1.57 लाख गांठ, कर्नाटक में 1.34 लाख गांठ के अलावा राजस्थान में 52,500 गांठ तथा ओडिशा में 80,900 गांठ कॉटन बेची है। अन्य राज्यों में हरियाणा में 50,700 गांठ तथा पंजाब में 1,700 गांठ के अलावा आंध्र प्रदेश में सबसे कम 400 गांठ कॉटन की बिक्री की है।
स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण सोमवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया। गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव
सोमवार को 100 रूपये तेज होकर 53,900 से 54,300 रु प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5720 से 5730 रु प्रति मन बोले गए।
हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5530 से 5590 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव सुधरकर 5720 से 5750 रु प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,700 से 54,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।
देशभर की मंडियों में कपास की आवक 18,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन शाम के सत्र में तेजी का रुख रहा। स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।
व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में कपास के उत्पादन में कमी आई थी, लेकिन एक तो घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात में कमी आई है, वहीं दूसरी तरफ चालू सीजन में अभी तक आयात ज्यादा मात्रा में हुआ है। घरेलू बाजार में सीसीआई के पास करीब 70 लाख गांठ का स्टॉक बचा हुआ है। इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।