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कॉल उठाने से पहले पहचान का अधिकार: भारत में CNAP लागू होने जा रहा है

 

जब फोन बजेगा, तो अब सिर्फ़ घंटी नहीं—पहचान गूंजेगी
भारत एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रहा है, जहाँ हर कॉल से पहले सच्चाई स्क्रीन पर होगी और झूठे नामों की आड़ खत्म। यह केवल तकनीक नहीं, सुरक्षा और जवाबदेही की नई परिभाषा है—जहाँ नेटवर्क बोलेगा सच्चाई, और नागरिक पाएगा अपना पहचान का अधिकार।
CNAP दरअसल उस डिजिटल क्रांति की शुरुआत है, जो भरोसे को फिर से जन्म दे रही है।

अहमदाबाद,30 अक्टुम्बर (इ खबर टुडे)। अहमदाबाद, 30 अक्टूबर 2025, भारत में पहली बार Calling Name Presentation (CNAP), यानी कॉलर नाम प्रदर्शीकरण सेवा लागू होने जा रही है। KYC (ग्राहक पहचान सत्यापन) आधारित वास्तविक पहचान दिखाने वाली यह व्यवस्था न सिर्फ साइबर ठगी पर नकेल कसेगी बल्कि नागरिकों को बिना किसी थर्ड-पार्टी ऐप के अपनी डिजिटल सुरक्षा का नियंत्रण खुद देगी।

अब अनजान नंबरों की जगह आपकी स्क्रीन पर कॉल करने वाले का असली नाम दिखाई देगा, क्योंकि दूरसंचार विभाग (DoT) ने इस सेवा को लागू करने का निर्णय ले लिया है और सभी टेलीकॉम कंपनियों को तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

यह कदम भारत में बढ़ती धोखाधड़ी और विदेशी कॉलर-आइडेंटिफिकेशन ऐप्स पर निर्भरता के बीच नागरिकों की सुरक्षा और गोपनीयता की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद मोबाइल और टेलीकॉम नेटवर्क में पहचान छुपाई नहीं बल्कि प्रमाणित होकर सामने आएगी—और कॉल उठाने से पहले निर्णय लेने की वास्तविक शक्ति अब उपभोक्ता के हाथ में होगी।

कॉल करने वाला कौन? CNAP देगा असली पहचान

आज भारत में हर दिन लाखों लोग फर्जी बैंक कॉल, बीमा स्कैम, KYC अपडेट के नाम पर डेटा चोरी और फ्रॉड का शिकार होते हैं क्योंकि अनजान नंबर देखकर उपभोक्ता यह नहीं जान पाता कि सामने कौन है—और धोखेबाज़ इसी अंधेरे का फायदा उठाते हैं।

Truecaller जैसे विदेशी ऐप्स इस कमी को पूरा तो करते हैं, लेकिन बदले में वे उपयोगकर्ताओं की फोनबुक और कॉल डेटा विशाल पैमाने पर इकट्ठा कर विदेश सर्वरों पर भेजते हैं, जहाँ भारतीय नागरिकों की पहचान पर किसी देशीय कानून का नियंत्रण नहीं होता।

CNAP इस रिक्ति को भरता है, जहाँ नेटवर्क स्तर पर दिखने वाला नाम सीधे SIM KYC से प्रमाणित जानकारी के रूप में सामने आएगा और उपभोक्ता को किसी बाहरी ऐप पर भरोसा करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

TRAI की सिफारिश से DoT की मंजूरी तक: CNAP लागू होने की पूरी प्रक्रिया

मार्च 2022 में दूरसंचार विभाग (DoT) ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) से यह जानना चाहा कि क्या भारत में CNAP सेवा लागू की जा सकती है।

इसी संदर्भ में नवंबर 2022 में TRAI ने व्यापक परामर्श प्रक्रिया शुरू की और विस्तृत तकनीकी तथा कानूनी समीक्षा के बाद 23 फरवरी 2024 को अपनी सिफारिशें सरकार को भेजीं।

अब DoT ने TRAI की इन सिफारिशों पर औपचारिक सहमति देते हुए 4G और 5G नेटवर्क पर CNAP सेवा को कार्यान्वयन की दिशा में तुरंत आगे बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं, जबकि 2G और पुरानी तकनीकों पर यह सुविधा चरणबद्ध तरीके से सक्रिय होगी।

साथ ही TRAI ने सुझाव दिया है कि आगामी छह महीनों में भारत में बिकने वाले सभी नए मोबाइल उपकरणों में CNAP सपोर्ट अनिवार्य किया जाए, ताकि भविष्य में कोई उपभोक्ता इस सुविधा से वंचित न रहे।

इस सुझाव को लागू करने का अंतिम आदेश और समयसीमा तय करने का अधिकार दूरसंचार विभाग के पास है। एक बार उसका नोटिफिकेशन जारी होने पर उपकरण निर्माता भी उसी के अनुरूप अपने फोन में नेटवर्क-स्तरीय CNAP कम्प्लायंस सुनिश्चित करने के लिए बाध्य होंगे।

कॉल आते ही नाम कैसे दिखेगा: आसान भाषा में समझें

जब किसी कॉलर की घंटी रिसीवर के मोबाइल पर बजेगी, तो नेटवर्क उस कॉलर की पहचान उसके दूरसंचार ऑपरेटर के डेटाबेस से तत्काल प्राप्त करेगा।

यदि कॉल एक ही कंपनी के नेटवर्क के भीतर है तो प्रक्रिया और सरल रह जाएगी, और यदि कॉल अलग नेटवर्क से आई है तो कॉल प्राप्त करने वाला ऑपरेटर कॉलर के ऑपरेटर से नाम का मिलान कर जानकारी तुरंत स्क्रीन पर दिखा देगा।

यह कार्य बिना किसी ऐप, बिना इंटरनेट और बिना अतिरिक्त अनुमति के पूरी तरह से नेटवर्क-आधारित सुरक्षा संरचना में संपन्न होगा।

पहचान दिखेगी, निजता सुरक्षित

सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि CNAP उपभोक्ता के लिए डिफ़ॉल्ट रूप से सक्रिय रहे ताकि आम नागरिक को किसी सेटिंग के झंझट में न पड़ना पड़े।

यदि कोई उपयोगकर्ता किसी खास परिस्थिति में अपने नाम की गोपनीयता चाहता है, तो वह Calling Line Identification Restriction (CLIR) यानी कॉलर पहचान प्रतिबंध सुविधा के लिए निवेदन कर सकता है, जिसका उपयोग केवल कानून-सम्मत विशेष स्थितियों में ही संभव होगा।

गलत नाम प्रदर्शित होने की स्थिति में ऑपरेटर KYC साक्ष्यों के आधार पर तत्परता से सुधार करने के लिए बाध्य रहेंगे, जिससे उपभोक्ता की प्रतिष्ठा और अधिकार संरक्षित रहेंगे।

CNAP: साइबर ठगी पर रोक और डेटा-सार्वभौमिकता को मजबूती

बढ़ते साइबर अपराधों में कॉलर की असली पहचान छुपाना अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार रहा है। CNAP इस हथियार को निष्क्रिय कर देगा।

खासकर ग्रामीण और कम जागरूक उपभोक्ताओं के लिए यह तकनीक ठगी की पहली और मजबूत रोक बनकर सामने आएगी।

इसके साथ ही यह भारत को Truecaller जैसे विदेशी कॉलर-आईडेंटिफिकेशन प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भरता से भी मुक्त करेगा, जहाँ भारतीय नागरिकों की निजी पहचान और फोनबुक डेटा देश की सीमाओं से बाहर नियंत्रित होता है।

CNAP भारतीय डेटा-सार्वभौमिकता को स्थापित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पहचान संबंधी सभी जानकारी भारत के नियामक ढाँचे के भीतर सुरक्षित रहे।

पहचान का अधिकार — अब तकनीक के साथ
डिजिटल भारत का लक्ष्य हमेशा से यह रहा है कि तकनीक केवल सुविधा नहीं, बल्कि अधिकार भी प्रदान करे।

CNAP इस अधिकार को उपभोक्ता की स्क्रीन पर उतार रहा है, जहाँ फोन बजने से पहले ही संवाद की सुरक्षा, पारदर्शिता और भरोसा स्थापित हो जाएगा।

यह बदलाव उपभोक्ता की गोपनीयता की रक्षा, साइबर सुरक्षा की मजबूती और डेटा पर भारत के नियंत्रण—इन सभी दिशाओं में एक महत्वपूर्ण कदम है।

CNAP के साथ भारत एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहाँ पहचान अब अंधेरे में नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और प्रमाणिकता के साथ उजाले में सामने आएगी।