रेलवे की 73 प्रतिशत तत्काल टिकट एक मिनट में हो रही बुक, टिकट लेने के लिए आपनाएं तरीका
भारतीय रेलवे की ‘तत्काल टिकट’ सेवा, जो कभी आकस्मिक यात्रा करने वालों के लिए राहत की तरह मानी जाती थी, अब यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। हाल ही देशभर के 396 जिलों के 55,000 से अधिक यात्रियों पर आधारित एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ‘लोकलसर्कल्स’ के सर्वे के अनुसार, 73 प्रतिशत यात्रियों ने ताया कि तत्काल टिकट बुकिंग विंडो खुलते ही एक मिनट के भीतर उन्हें वेटिंग लिस्ट में डाल दिया गया।
इससे यह संदेह और भी गहरा हुआ है कि क्या टिकटें पहले से ही बुक कर ली जाती हैं? आइआरसीटीसी की वेबसाइट और मोबाइल ऐप से टिकट बुक करने की कोशिश कर रहे यात्रियों ने तकनीकी समस्याओं की शिकायत की।
सुधार की सिफारिश: सर्वे में पाया गया कि सिस्टम को सुव्यवस्थित करने के प्रयासों के बावजूद, ज्यादातर यात्रियों के लिए तत्काल टिकट का अनुभव निराशाजनक है।
लोकल सर्कल्स ने कहा कि वह यह रिपोर्ट सीधे रेल मंत्रालय को सौंपेगा ताकि तत्काल टिकट प्रणाली में व्याप्त तकनीकी और व्यवस्थागत खामियों को दूर किया जा सके। यह सर्वे अप्रैल और मई 2025 के बीच किया गया है।
2016 में हुआ था घोटाले का पर्दाफाश:
रेलवे ने 2016 में तत्काल टिकट घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें पाया गया था कि कुछ ट्रैवल एजेंट फर्जी नामों से टिकट बुक कर उन्हें बाद में ‘नेम चेंज ऑप्शन’ के जरिए वास्तविक यात्रियों को ट्रांसफर कर रहे थे। इसके लिए वे रेलवे कर्मचारियों की मिलीभगत से काम करते थे। इसके बाद रेलवे ने कई सुधारात्मक उपाय किए थे।
इसके तहत कैप्चा सुरक्षा, ओटीपी आधारिक लॉगिन और एक समय में केवल एक बुकिंग की सीमा तय करना। हालांकि, लोकलसर्कल्स का यह ताजा सर्वे बताता है कि इन उपायों के बावजूद सिस्टम में खामियां अब भी बनी हुई हैं और एजेंटों की पकड़ खत्म नहीं हो सकी है।
ये हैं शिकायतें : बुकिंग शुरू होते ही वेबसाइट या ऐप क्रैश हो जाता है।
पेज लोड होने में समय लगता है और टिकट तब तक ‘फुल’ हो जाती हैं।
कई बार पेमेंट कटने के बावजूद टिकट कन्फर्म नहीं होता, और न ही तुरंत रिफंड मिलता है।
बुकिंग प्रोसेस के बीच में सीटें अचानक ’अनअवेलेबल’ दिखने लगती हैं।
आइआरसीटीसी से उठ रहा भरोसा
सर्वे के अनुसार, अब केवल 40 फीसदी यात्री ही आइआरसीटीसी के जरिए टिकट बुकिंग में भरोसा रखते हैं। बाकी या तो ट्रैवल एजेंटों का सहारा लेते हैं या फिर रेलवे स्टेशन जाकर लंबी कतारों में लगते हैं।
एजेंटों की संदिग्ध भूमिका का अंदेशा
एक बड़ा तबका यह भी मानता है कि अधिकृत एजेंट और कुछ तकनीकी विशेषज्ञ सॉफ्टवेयर बॉट या विशेष टूल की मदद से बुकिंग खुलते ही तत्काल टिकट ‘हाई स्पीड’ में बुक कर लेते हैं।
रेलवे का ऑनलाइन टिकट सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी है। अप्रेल-मई में रेलवे का पीक सीजन होता हैं। तत्काल टिकट सिस्टम में हर 10 सीटों पर एक हजार से ज्यादा ऑनलाइन कतार में रहते हैं। -दिलीप कुमार, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, रेलवे बोर्ड (सूचना व प्रचार)