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युद्ध सायरन व सामान्य सायरन में क्या है अंतर, कब कब बजाया जाता है सायरन
 

 

सायरन एक खास तरह की तेज आवाज होती है, जो हमें खतरे या मुसीबत के समय सावधान करने के लिए बजाई जाती है। जब सायरन बजता है, तो लोग समझ जाते हैं कि कुछ गलत हो सकता है और सबको सतर्क रहना चाहिए।

सामान्य सायरन, जैसे एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की आवाज, एक समान और सीधी होती है। यह आमतौर पर 500 मीटर से 1 किलोमीटर तक सुनाई देती है। इसके मुकाबले, युद्ध के सायरन की आवाज अलग होती है, जो एक खास पैटर्न में बजती है।

सायरन क्यों बजाया जाता है?

सायरन आमतौर पर तब बजता है जब कोई बड़ी मुसीबत आने वाली हो - जैसे आग, तूफान या युद्ध। इसकी आवाज बहुत दूर तक सुनाई देती है और यह इतनी तेज होती है कि लोग तुरंत ध्यान देने लगते हैं।

युद्ध के समय सायरन की आवाज कैसी होती है?

जब युद्ध का खतरा होता है, तो सायरन की आवाज डरावनी और बहुत तेज होती है। यह आवाज कभी तेज, कभी धीमी होती रहती है - जैसे कोई रो रहा हो। यह आवाज करीब तीन मिनट तक बजती है। 

इससे लोग समझ जाते हैं कि दुश्मन का हमला हो सकता है और सबको सुरक्षित जगह पर जाना चाहिए। लेकिन जब सब कुछ ठीक हो जाता है और खतरा खत्म हो जाता है, तब एक दूसरी सीधी और शांत आवाज वाला सायरन बजता है। इससे लोग समझ जाते हैं कि अब डरने की जरूरत नहीं है और सब कुछ सुरक्षित है।

सायरन सुनकर क्या होता है?

सायरन की आवाज सुनने पर कई लोगों को घबराहट महसूस होती है। खासकर बुजुर्ग लोग या दिल के मरीजों को अजीब महसूस होता है। सायरन का असर इतना डरावना होता है कि कभी-कभी लोग पसीने से तर-बतर हो जाते हैं और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और हाल ही में इजरायल-हमास युद्ध में भी सायरन की आवाज हुई थी।