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बैंगन की पौध लगाने का सही समय,उन्नत किस्म, अच्छी पैदावार के लिए विधि

 

किसान बैंगन की खेती व्यवसायिक स्तर पर करते हैं। ज्यादातर किसान बैंगन की फसल का उत्पादन करके दिल्ली की मंडियों में बिक्री के लिए ले जाते हैं। लोगों की मनपसंद बैंगन के लंबे गोल फलों का चयन घर में बनने वाली टेस्टी सब्जी बैंगन का भर्ता के लिए गृहिणियों द्वारा किया जाता है। डार्क बैंगनी यानी डीप पर्पल रंग के फलों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। बैंगन की खेती को खुले खेतों में वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर बैंगन की फसल का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। इसके लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। 1 से 31 जुलाई तक बैंगन की पौध/नर्सरी को मेढ़ों पर रोपा जाता है।

मेढ़ों की दूरी 80 से 90 सेंमी व पौधों की दूरी 50 सेंमी रखें

मेढ़ों की दूरी 80 से 90 सेंटीमीटर होती है। पौधे से पौधे की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। एक स्थान पर एक ही पौधा रोपा जाता है। रोपाई के बाद नालियों से सिंचाई करें। यदि रोपाई के पहले या बाद में एकदम से बारिश आ जाए, तो मौसम के मिजाज को देखते हुए सिंचाई करें। रोपाई के 45 से 60 दिन के अंतराल पर पौधों पर फूल आने शुरू हो जाते हैं, जिनसे 10 से 15 दिन में बैंगन के फल मिलने शुरू हो जाते हैं। इन फलों को तोड़कर किसान इनका बाजारीकरण कर सकते हैं।

ये हैं उन्नत शंकर की किस्में

बैंगन के फलों का अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानों को चाहिए कि वे उन्नत शंकर किस्मों का चयन करें। इनमें काजल, निशांत, नवकिरण, श्वेता, काला मोती, हिसार श्यामल, संकर ब्रिजल-39 (चोचो बैंगन) एवं हिसार प्रगति सर्वोत्तम हैं।

25 दिन में तैयार हो जाती है पौध

किसान 1 से 15 जुलाई तक पौध तैयार कर सकते हैं, जो 25 से 30 दिन में तैयार हो जाती है। वर्तमान में जिन किसानों के खेतों में पौध पहले से ही है वे दोपहर बाद रोपाई कर सकते हैं। ऐसा करने से गर्मी के कारण पौधे मरते नहीं।

1 एकड़ में 8 हजार से 9500 तक पौधे लगा सकते हैं। प्रति पौधा ढाई से 3 किलो फल देता है। प्रति एकड़ किस्मों के आधार पर 200 से 300 क्विंटल ऊपज प्राप्त की जा सकती है।