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आठ वंदेभारत और 15 मेट्रो ट्रेन के साथ मध्यवर्ग के लिए जनरल-स्लीपर कोच बनाएगा रेलवे

आठ वंदेभारत और 15 मेट्रो ट्रेन के साथ मध्यवर्ग के लिए जनरल-स्लीपर कोच बनाएगा रेलवे
 

भारतीय रेल में करीब 80 प्रतिशत मध्यवर्गीय लोग सामान्य और स्लीपर कोच (डिब्बे) में यात्रा करते हैं। सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनों से इनकी संख्या कम होती जा रही है। मध्यवर्गीय लोगों के लिए अधिक से अधिक स्लीपर और जनरल कोच बनाए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) कपूरथला, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) चेन्नई और माडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) रायबरेली के लिए वित्त वर्ष में कोच बनाने का लक्ष्य तय कर दिया है। साथ ही वंदे भारत, अमृत भारत ट्रेन और मेट्रो ट्रेनें तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि वेटिंग टिकट से छुटकारा मिल सके। इसके अलावा आरसीएफ में बांग्लादेश के लिए भी

रेलवे की योजना 
रेलवे ने अगले दो सालों में दस हजार नान एसी डिब्बे तैयार करने का लक्ष्य रखा है। यदि यह लक्ष्य पूरा हो जाता है, तो आठ लाख से अधिक यात्री रोजाना इन डिवों में सफर कर सकेंगे। यह कोच एलएचडी श्रेणी के है, जिसमें यात्रियों की सुविधाओं का इजाफा किया गया है। रेलवे ने मध्यम वर्ग के यात्रियों के लिए अमृत भारत ट्रेने शुरू की हैं।

पिछला रिकार्ड तोड़ दिया है और मौजूदा समय भी इसी कोच फैक्ट्री में सबसे अधिक मध्यम वर्गीय दो सौ कोच तैयार किए जा रहे हैं। हालांकि एमसीएफ ने सामान्य कोच और स्लीपर कोच बनाने का अपना

पिछले साल दिए थे कोच

आइसीएफ की बात करें तो विभिन्न रेलवे को हजारों कोच दिए गए थे। इनमें उत्तर रेलवे को 850, मध्य रेलवे को 850, उत्तर-पूर्व रेलवे को 800, नार्दन वेस्टर्न रेलपे 800 और उत्तर-मध्य रेलवे को 700 कोच दिए थे। लोगों के लिए कोच बनाए जा रहे हैं।

 एमसीएफ में वित्त वर्ष 2025 26 में 2481 कोच बनाने का लक्ष्य तय किया गया है जबकि गत वर्ष में 2025 कोच बनाए गए थे। मौजूदा समय यहां पर जनरल कोच 639, स्लीपर कोच 527, थर्ड एसी 235 सहित 2481 कोच तैयार किए जा रहे हैं। इस कोच फैक्ट्री में 2023-24 में 1684 कोच बनाए गए थे जो 2022-23 से 15 प्रतिशत अधिक थे। देश की यह एकमात्र कोच फैक्ट्री है. जहां पर सबसे अधिक 1274 नान एसी कोच बनाए जा रहे हैं। रेलवे ने दस वर्षों में 37 हजार एलएचबी कोच बने हैं और रेलवे ने लक्ष्य रखा है कि आइसीएफ कोच पुराने डिजाइन के हैं, उनको नए एचएचत्री से बदात दिए जाएंगे। इसी तरह आरसीएफ में भी तीन हजार कोच बनाए जाने का लक्ष्य इस वित्त वर्ष में रखा गया है।

 इस कोच फैक्ट्री में कारतका शिमला सहित कई अन्य हिल स्टेशनों के कोच बनाए जा रहे हैं। स्रतीपर और सामान्य कोच की संख्या यहां पर 450 है। खास बात यह है कि इस कोच फैक्ट्री में बांग्लादेश के लिए कोच बनाए जा रहे हैं। रेलवे का दो सौ पैसेंजर कोच बनाने का एमओयू हुआ है. जिसकी जिम्मेदारी आरसीएफ को दी है। बताया जाता है कि 11.12 करोड़ डालर में यह डील हुई है, जो लगभग 915 करोड़ के आसपास है। इसके अलावा चेन्नई की आइसीएफ की बात करें तो यह यो कोच फैक्ट्री है, जहां पर पहली चंदेभारत एक्सप्रेस तैयार हुई थी, जो यात्रियों की पहली पसंद बन चुकी है। स्लीपर कोच वाली वंदेभारत भी इसी फैक्ट्री में पहली बार तैयार हुई।