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प्याज ने किसानों को रुलाया, 15 दिन में प्याज बेचना जरूरी नहीं तो उगने लगेगा

 

किसानों को प्याज के 3, 4 और 5 रुपए जैसे भाव मिल रहे हैं। जो भी भाव मिले इसे बेचना जरूरी है। अगर प्याज रोका तो यह उगने लगता है और फिर संड भी जाता है। किसान कमल पटेल ने कहा इस बार प्याज का रकबा कम होगा और गेहूं का बढ़ेगा। दिसंबर में प्याज की बुवाई शुरू हो जाती है।

मंडी में किसान रोज 20 से 25 हजार कट्टे प्याज बेचने ला रहे है। देखा जाए तो दिवाली बाद किसान रोका गया संपूर्ण प्याज बेच देंगे। सबसे बड़े नुकसान की खेती इस साल प्याज की हो गई। आगामी दिनों में नासिक से लाल प्याज भारी मात्रा में आने लगेगी। इंदौर तरफ इस प्रकार की प्याज की कुछ कट्टों की आवक विगत दिनों शुरू भी हो गई। उज्जैन की सब्जी मंडी में हरी प्याज 15 से 20 रुपए गड्डी में बिकने लगी है। इस साल डबल खर्चे वाली खेती प्याज की हो गई। 50 से 60% प्याज बेमौसम की बारिश से खेतों में ही खराब हो गया और जो शेष रहा इसके भाव नहीं मिले। किसान नेता संदीप पाटीदार ने जिलेभर में अपने संगठन के माध्यम से बड़ा आंदोलन किया और उज्जैन में मंडी गेट के बाहर प्याज की ट्राली लगाकर आम लोगों को फ्री में प्याज बांटकर भाव के प्रति आक्रोश भी व्यक्त किया। व्यापारियों के पास प्याज की मांग नहीं आई।

प्याज की मांग निर्यात में कमजोर हो गई और देश का प्याज देश में ही रह गया। किसानों को कभी 100 रुपए किलो के भाव भी प्याज के मिले थे। इस समय उज्जैन मंडी में क्वालिटी अनुसार 300 से 400 और सुपर क्वालिटी के 1000 से 1100 रुपए प्रति क्विंटल लेकिन इस प्रकार के प्याज नाममात्र बिकते है।