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सालाना 8 लाख रुपये की नौकरी छोड़ शुरू की खेती, अब कमा रहे 18 लाख सालाना

सालाना 8 लाख रुपये की नौकरी छोड़ शुरू की खेती, अब कमा रहे 18 लाख सालाना
 

जब व्य​क्ति अपना खुद का काम करने की सोच लेता है तो फिर उसे नौकरी अच्छी नहीं लगती, चाहे वह लाखों रुपये की ही क्यों नहीं हो। ऐसे ही मध्यप्रदेश के युवा की कहानी है। उसने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करके 8 लाख रुपये वा​र्षिक सेलरी की नौकरी की। इसके बाद अचानक उसने नौकरी छोड़ दी और सब्जी की खेती करने लगा।

अब वह एक साल में 18 लाख रुपये कमा रहा है

जब मन से कोई भी व्य​क्ति जी-जान लगाकर काम करे तो कुछ भी हासिल कर सकता है। यह युवा आज अन्य लोगों को रोजगार दे रहा है। 
मध्यप्रदेश के जिले बालाघाट जिले की परसवाड़ा तहसील के गांव अरंडिया निवासी विनीत पटले इंदौर के एक इंजीनियर कॉलेज से बीटेक पास किया था। पांच साल पहले उसने एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी शुरू की। उसे नौकरी में 8 लाख रुपये सालाना सेलरी मिलती थी। वह कोरोना काल में अपने गांव आ गया। इसके बाद उसने सब्जी की खेती करनी शुरू कर दी। उसने खेती शुरू की तो ऐसी की कि वह दूसरों के लिए एक मिसाल बन गया। विनीत पटले ने पारंपरिक खेती को छोड़कर नई तकनीक अपनाई और वह अब 18 लाख रुपये सालाना कमा रहा है। 


स​ब्जियों की खेती देखी तो आया ख्याल
विनीत पटले ने बताया कि कोरोना काल के दौरान वह अपने गांव आ गया। इस दौरान उसने रायपुर में स​ब्जियों की खेती देखी। इसके साथ उसने कुछ किसानों से भी बातचीत की। इसके बाद उसने मन बना लिया कि वह नौकरी छोड़कर स​ब्जियों की खेती करेगा। विनीत पटले ने बताया​ कि उसके परिवार के लोग पहले सब्जी की खेती ही करते थे, लेकिन उसके परिजन छोटे पैमाने पर खेती करते थे। 


सबसे पहले दो एकड़ में शुरू की खेती
विनीत ने बताया कि उसने ग्राम शेरपार में फार्म हाउस बनाया। सबसे पहले उसने दो एकड़ में स​ब्जियाें की खेती की। उसने जब बाजार में यह सब्जी बेची तो उसे काफी मुनाफा हुआ। इसके बाद उसने 6 एकड़ में स​ब्जियाें की खेती करनी शुरू कर दी। इस समय वह बैंगन, गोभी, कद्दू, लोकी, मिर्च, ककड़ी, करेला जैसी स​ब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। विनित पटले ने कहा कि उसे प्रति एकड़ लगभग 3 लाख रुपये की सालाना आय होता है। ऐसे में वह 6 एकड़ में 18 लाख रुपये की कमाई करता है। 


एक साल में तीन बार स​ब्जियों का उत्पादन
विनीत ने बताया कि उसने जब अपनी खेती शुरू की तो साथ-साथ कृ​षि विभाग और कृ​षि वैज्ञानिकों से खेती के गुर सीखे। अब वह स​ब्जियों की खेती में पारंगत हो गया है। वह साल में तीन बार स​ब्जियों का उत्पादन लेता है। गर्मी और ठंड के मौसम के अनुसार ही वह अलग-अलग प्रकार की स​ब्जियां उगाता है। वह अच्छी क्वालिटी के बीजों का चयन करता है और फर्टिगेशन तकनीक से स​ब्जियों को उगाता है। फर्टिगेशन वि​धि में सिंचाई के साथ-साथ पौधों तक तरल उर्वरक भी पहुंचता है। इससे अच्छा उत्पादन होता है।

 
अच्छी तरह से करें खेत की जुताई 
विनीत ने कहा कि स​ब्जियों की बिजाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए। वह चार से पांच बार खेत की जुताई करते हैं। खेत में गोबर की खाद भी डालते हैं। इसके बाद रोटावेटर की मदद से ​मिट्टी की और भी भूरभूरा करते हैं। इससे गोबर की खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाती है। इसके बाद वह बीज लगाए जाते हैं। मिट्टी की घार पर वह पन्नी का इस्तेमाल करते हैं। इससे खरपतवार की समस्या नहीं रहती है। इसके साथ-साथ पौधों में नमी भी ज्यादा देर तक बनी रहती है। इससे कीटों के लगने की समस्या भी खत्म हो जाती है। इसके अलावा ड्रिप सिस्टम से खाद स​ब्जियों के पौधों की जड़ों तक पहुंचता है। वह फसल की सिंचाई भी ड्रिप सिस्टम से ही करते हैं। विनीत ने बताया कि उसने 20 लाख रुपये खर्च करके अपने खेत में ​ड्रिप सिस्टम लगाया हुआ है। विनीत के पास अब केवल मध्यप्रदेश के ही नहीं ब​ल्कि दूसरे प्रदेशों के लोग भी खेती के गुर सीखने के लिए आते हैं।