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कपास की फसल में पौधे सुखना, टिंडे गलना जैसी आ रही है समस्या तो ये करें छिड़काव

 

अधिक बारिश के बाद अब मौसम साफ चल रहा है परंतु नरमा कपास की फसल में रात को ठंड होने की वजह से प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है।

अतिवृष्टि के कारण नरमें में टिंडा सड़ना मुख्य समस्या आ रही है। इसके अलावा पते सडना पौधे जलना और फल फूल आदि बंद होने से किसानों की परेशानियां बढ़ी हुई है।

किसानों के अनुसार इस बार नरमा की फसल अच्छी थी, लेकिन अधिक बारिश के कारण फसल नुकसान में आ गई है। पिछले दिनों रुक-रुककर बारिश होती रही जिससे फसल ज्यादा खराब हुई है। नरमा को फंगस, उखेड़ा व झुलस रोग से बचने के लिए एनपीके के साथ में मैग्नीशियम व पोटाश आदि अनुभव अनुसार घोल बनाकर छिड़काव कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि नरमा की फसल 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हो गया है। जिन खेतों में पानी भरा है वहां नुकसान इससे भी ज्यादा है।

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कॉटन सेक्शन इंचार्ज डॉक्टर कर्मल सिंह ने बताया कि किसानों के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है। नरमा में टिंडा गलन रोकने के लिए 6 से 8 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन और 600 से 800 ग्राम कोपर ऑक्सिक्लोराइड को 150 से 200लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ दो से तीन सप्ताह के अंतराल से छिड़काव करें।

पैराविल्ट के लिए 2 ग्राम कोबाल्ट कलोराइड 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 24 से 48 घंटे में खेत में छिड़काव करें। पौधे झुलसने से पहले ही यह कारगर होगी। इसके अलावा गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी के लिए 2 फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं और प्रति 3 दिन में 24 से अधिक पतंगे मिलें तो कीटनाशक छीड़काव करें।

वहीं, इस दौरान सफेद मक्खी का प्रकोप ज्यादा देखने को मिलता है तो 200 मिलीलीटर पायरिप्रोक्सिफोन 10 ईसी या 240 मिलीलीटर स्पिरोमेसिफेन ओबरोन 22.9 एससी को 200 से 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 10 से 12 दिन के अंतराल में छिड़काव करें।