कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार अच्छा उत्पादन ले सकते हैं किसान,जौ की पछेती किस्मों की दिसंबर में पोरा या केरा विधि से करें बिजाई
जौ की पछेती किस्मों की बिजाई दिसंबर में की जा सकती है। पछेती फसल में माल्ट की पैदावार व गुणवत्ता कम हो जाती है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि 1 एकड़ के लिए 45 किलोग्राम बीज लेकर बीज को कतारों में 18-20 सेंटीमीटर की दूरी पर पोरा या केरा विधि से बोएं। बिजाई के समय 26 किलोग्राम यूरिया, 75 किलोग्राम सुपर फास्फेट तथा 10 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश डालें। सुपर फास्फेट को पोरा करें, बिखेरें नहीं, जबकि समय पर बीजी गई फसल में बिजाई के 40-45 दिन बाद पहला पानी लगाएं। जौ में पहला पानी लगाते समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा 26 किलोग्राम यूरिया डालें। यदि जौ की पत्तियों पर जस्ते की कमी के लक्षण दिखाई दें तो अधिक पैदावार लेने के लिए जस्ते-यूरिया के घोल का छिड़काव करें। बिजाई से पहले बीज का उपचार वीटावैक्स या बाविस्टिन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से सूखा उपचार करें।
फसल की सिंचाई के बाद करें निराई
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि जौ में पहली सिंचाई के बाद एक या दो बार फसल की नलाई करें। यदि ऐसा न कर सकें तो 200-250 लीटर पानी में 400 ग्राम 2, 4-डी सोडियम साल्ट प्रति एकड़ को घोलकर फसल की बिजाई के 40 दिन बाद छिड़काव करने से चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नष्ट हो जाते हैं या चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए एलग्रीप 20 प्रतिशत दाने 8 ग्राम, 200 मिली. चिपचिपा पदार्थ या 2, 4 डी अमाईन 58 एस एल 500 मिली छिड़कें।
लोमड़ घास और जंगली जई के नियंत्रण के लिए करें छिड़काव
डॉ. करमल सिंह ने बताया कि कनकी, जंगली जई व लोमड़ घास के नियंत्रण के लिए एक्सियल 5 ईसी. पिनोक्साडेन 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ को 200 लीटर में घोलकर 40-45 दिन बाद छिड़कें। मिश्रित खरपतवारों संकरी व चौड़ी पत्ती वाले के नियंत्रण के लिए एक्सियल 5 ईसी 400 मिलीलीटर के साथ अलग्रीप 20% घुपा/घु. दाने 8 ग्राम 200 मिली. चिपचिपा पदार्थ या 2, 4-डी अमाईन 58 एसएल 500 मिली या एफीनिटी 40 डीएफ 20 ग्राम प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकर 40-45 दिन बाद छिड़कें।