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पशुओं को खुरपका - मुंहपका व गलघोंटू रोग से बचाने के लिए ये उपाय करें, 21 दिन में बन जाती है रोग प्रतिरोधी क्षमता

 

'मुंह एवं खुर रोग' अथवा 'खुरपका मुंहपका रोग' फटे खुरों वाले पशुओं यानि गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सुअरों आदि में होने वाला अत्यधिक संक्रामक रोग है। जबकि 'गलघोटू रोग गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट, शूकर व अन्य प्रजातियों के पशुओं में होने वाला अति संक्रामक जीवाणु जनित रोग है। डॉक्टर सुजॉय खन्ना, विस्तार विशेषज्ञ, हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र लुवास, उचानी करनाल ने बताया कि भैंसों में यह रोग सबसे अधिक संक्रामक एवं नुकसानदायक होता है। इन रोगों से बचाव के लिए पशुपालन विभाग साल में दो बार टीकाकरण करता है।


खुरपका मुंहपका रोग के लक्षण


मुंह एवं खुर रोग से दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन में कमी आती है। सांडों की प्रजनन क्षमता में गिरावट आ जाती है। छोटे पशुओं में मृत्यु भी हो जाती है। मुंह एवं खुर रोग से पशु सुस्त हो जाता है व तेज बुखार (102-105 डिग्री सेल्सियस) आ जाता है। मुंह से अत्याधिक लार टपकती है और झाग बनती है। जीभ, होंठ व मसूड़ों पर छाले बन जाते हैं जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं। रोग के लंबे समय तक चलने पर पशु के थनों पर भी छाले आ सकते हैं। सुअरों में लार टपकने के बजाय थूथ पर फफोले बन जाते हैं।

टीकाकरण करवाते समय ध्यान रहे कि प्रत्येक पशु के लिए नई सुई का इस्तेमाल हो


इन दोनों बीमारियों का टीका रक्षा बायोवैक 100 मिली (33 डोज) की शीशी में आता है। टीकाकरण के दौरान प्रत्येक पशु के लिए अलग-अलग सुई का प्रयोग करें और उसके बाद सुई व सिरिंज का सही से निपटान करें।