{"vars":{"id": "115716:4925"}}

अरंड के तेल की मांग को देखते हुए भाव रहेगा 8 से 10हजार रुपए प्रति क्विंटल, इस समय करें अरंड की बिजाई 

 

अरंडी की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। औसत 5 हजार हेक्टेयर तक बिजाई हो जाती है। राज्य में अरंड परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी खेती कम सिंचित एवं पूर्ण सिंचित, मरगोझा व सरसों में तना गलन प्रभावित क्षेत्रों में की जा सकती है। अरंडी के तेल और इसके डेरिवेटिव का उपयोग इंजन ऑयल, साबुन, चिकनाई, हाइड्रोलिक और ब्रेक तरल पदार्थ, पेंट, रंजक, मोम व पॉलिश, नायलॉन और इत्र के निर्माण में किया जाता है। 6 हजार से 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक अरंडी का भाव होती है। किसान एक सीजन में 1 से डेढ़ लाख की कमाई ले सकते हैं।


अरंड के यह है उन्नत किस्म के हाइब्रिड बीज 

अखिल भारतीय अरंड परियोजना से जुड़े रहे सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जोगिंद्र यादव ने बताया कि हरियाणा में अरंड का मुख्य अनुसंधान केंद्र बावल है। यहां उन्नत किस्म के बीज एवं सस्य क्रियाओं के लिए रिसर्च होता है। इनकी उन्नत किस्म में बारानी एवं कम सिंचित किस्में जैसे आइसीएच- 5 और सिंचित अवस्था के लिए आईसीएच-66, जीसीएच-7 और आईसीएच-5 शामिल हैं।


अरंड की बिजाई का सही समय 


अरंड की बिजाई का सर्वोत्तम समय जुलाई के पहले सप्ताह से लेकर 20 जुलाई माना गया है। 20 जून से जुलाई के अंत तक बिजाई पूरी कर लें। अरंड के साथ मूंग, ग्वार, मूंगफली, तिल, कपास, अरहर, मोठ, टमाटर, मिर्च, अगेती मेथी, धनिया, मूली व गाजर की अन्तः फसल पद्धति विभिन्न राज्यों में प्रचलित है।

खरपतवार नियंत्रण 

बिजाई के चौथे एवं सातवें सप्ताह में दो निराई-गुड़ाई करने से खरपतवार नियंत्रण हो जाता है। कपास की तरह अरंड में भी ट्रैक्टर, बैलों या ऊंट से निराई-गुड़ाई की जा सकती है। वैज्ञानिक सलाह अनुसार दवा का छिड़काव करने से भी खरपतवार नियंत्रण हो जाता है। बिजाई के 35 से 40 दिन बाद खरपतवारों को हाथ से निकाल दें।


अरंड की बिजाई की विधि और मांत्रा

बारानी एवं कम सिंचित क्षेत्रों के लिए 90-120 सेमी. गुणा 60 सेमी. बिजाई के लिए 2 से 3 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ का उपयोग करें। सिंचित क्षेत्रों के लिए 150 सेमी. गुणा 90 सेमी. और 1 से डेढ़ किलोग्राम बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें। खेत को तैयार करते समय 30 किग्रा यूरिया, 12 किग्रा सल्फर, 4 किग्रा जिंक (33%) और 30 किग्रा पोटास को मिलाकर खेत तैयार करें।

कहां से ले सकते हैं बीज

अरंड के तेल की निर्यात मांग एवं घरेलू खपत के कारण इसके भाव में निरंतर वृद्धि हो रही है। राज्य में हिसार, आदमपुर के अलावा राजस्थान के नोहर-भादरा और गुजरात में भी बिक्री होती है। रेवाड़ी में भी बिक्री केंद्र बने तो इसका रकबा और बढ़ सकता है।