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दिमाग में विचार आते ही टेक्स्ट के रूप में बदल देगा एआई, तरंगों को तुरंत पकड़ लेगा

 

ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) प्रणाली विकसित की है, जो दिमाग की तरंगों को टेक्स्ट के रूप में बदल सकती है।

 सरल शब्दों में कहें तो यह आपके विचारों को पढ़ सकता है। डॉक्टर जहां इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (ईईजी) का इस्तेमाल दिमाग की बीमारियों का पता लगाने के लिए करते हैं, वहीं सिडनी की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (यूटीएस) के शोधकर्ता इसका उपयोग विचारों को पढ़ने के लिए कर रहे हैं। इस एआइ मॉडल को यूटीएस के छात्र चार्ल्स झोउ, चिन-टेंग लिन और डॉ. लेओंग ने मिलकर बनाया है।

ईईजी और एआइ को मिलाकर और भी रिसर्च

दुनियाभर में वैज्ञानिक ईईजी और एआइ को मिलाकर रिसर्च कर रहे हैं। अप्रेल में ब्रिघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा एआइ टूल बनाया था, जो मरीजों में कई वर्ष पहले ही मस्तिष्क में आने वाली गिरावट का अनुमान लगा सकता है।

 यह एआइ टूल नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधि में होने वाले छोटे बदलावों का विश्लेषण करने के लिए ईईजी का उपयोग करता है। अध्ययन में इस एआइ टूल ने ऐसे 85 फीसदी लोगों को सही चिह्नित किया, जिन्हें बाद में संज्ञानात्मक परेशानी हुई।

न्यूरालिंक से कैसे बेहतर?

रिपोर्ट के मुताबिक अभी इस एआइ मॉडल को कुछ ही शब्दों और वाक्यों के लिए प्रशिक्षित किया गया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि एआइ का उपयोग शोर को हटाने और दिमागी संकेतों को साफ करने के लिए किया जाता है, क्योंकि दिमाग के अलग-अलग हिस्सों से निकलने वाले संकेत खोपड़ी की सतह पर आपस में मिल जाते हैं। 

भले ही एलन मस्क की न्यूरालिंक कुछ ऐसा कर रहा है, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं का तर्क है कि इसमें दिमाग के अंदर कोई डिवाइस डालने की आवश्यकता नहीं है। इस तकनीक से स्ट्रोक के बाद होने वाले इलाज, ऑटिज्म में स्पीच थेरेपी और लकवाग्रस्त मरीजों के लिए कम्युनिकेशन में मदद मिल सकेगी।