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तकनीक का कमाल, वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सूर्यग्रहण बनाया

 

प्रकृति को समझने के लिए इंसान नैसर्गिक खगोलीय घटनाओं तक को कृत्रिम रूप दे रहा है। सोमवार को पेरिस एयर शो में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कृत्रिम सूर्य ग्रहण की तस्वीरें जारी की हैं। सूर्य ग्रहण के इस अनूठे प्रयोग के लिए दो सैटेलाइटों को सटीक ढंग से सूर्य के सामने लाया गया।

इन सैटेलाइटों को 2024 में छोड़ा गया था और मार्च 2025 से इन्हें कई बार सूर्य के सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। ये पृथ्वी से कई हजार किलोमीटर ऊपर एक-दूसरे से 492 फीट दूर उड़ रहे हैं। 

कृत्रिम सूर्य बनाते समय इनमें से एक चांद की तरह सूर्य को ब्लॉक कर देता है और दूसरा अपने टेलिस्कोप से सूर्य के बाहरी वायुमंडल कोरोना का अध्ययन करता है। इस वर्ष जुलाई से इस पर वैज्ञानिक प्रयोग शुरू होंगे। 21 करोड़ डॉलर के इस मिशन का नाम प्रोबा-तीन रखा गया है और इसने अभी तक 10 सफल सूर्य ग्रहण बना लिए हैं। रॉयल ऑब्जर्वेटरी ऑफ बेल्जियम के आंद्रे जूकोव ने बताया कि इनमें से सबसे लंबा ग्रहण पांच घंटों तक रहा।


अभी 200 ग्रहण और बनाए जाएंगे

आंद्रे जुकोव ने बताया कि इस प्रयोग के प्राथमिक नतीजे उत्साहजनक हैं। यह अनूठा और अविश्वसनीय था। उनका अनुमान है कि पूरे मिशन में करीब 200 ग्रहण बनाए जाएंगे, यानी हर हफ्ते औसतन दो ग्रहण। 

इससे वैज्ञानिकों को अध्ययन के लिए 1000 घंटे से भी ज्यादा पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थितियां मिलेंगी। इससे ग्रहण के अध्ययन का ज्यादा समय मिलेगा, क्योंकि सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ ही मिनट के लिए पूर्ण ग्रहण होता है, जब चांद सटीक स्थिति में धरती और सूर्य के बीच आ जाता है।