गन्ने की फसल में भारी बारिश के बाद यूरिया जरूर डालें, पत्तियां पीली हो रही है तो पोक्का बोइंग रोग का खतरा, चिटी बेधक किट बचाव के लिए यह प्रबंध करें
हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब इस बार गन्ने की मुख्यतः अगेती किस्में सीओ 0238, सीओ 0118, सीओएच 160 व सीओ 15023 और मध्यम-पछेती किस्में सीओ 05011 व सीओएच 119 की बिजाई हुई है। गन्ने की फसल फुटाव की अवस्था पूरी कर पोरी बनने की अवस्था में है। इसलिए फसल को खरपतवार मुक्त रखें। पछेती बिजाई में गन्ने को गिरने से बचाने के लिए मिट्टी ठीक से चढ़ाएं और बंधाई करें। भारी वर्षा के दौरान पानी के ठहराव से बचें और अतिरिक्त पानी निकाल दें। यदि भारी वर्षा हो तो जल निकासी के बाद 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से वत्तर की स्थिति में डालें या 2.5 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करें।
हरियाणा कृषि विश्वविद्याय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि पोक्का बोइंग रोग में पत्तियां हल्की पीली पड़ जाती हैं। इनमें धारियां बन जाती हैं और बाद में पत्तियां सिकुड़ व मुड़ जाती हैं। जिन खेतों में पोक्का बोइंग रोग के लक्षण नजर आ रहे हैं, वहां पर काबेंडाजिम 0.2 प्रतिशत या प्रोपिकोनाजोल 0.1 प्रतिशत की दर से स्प्रे करें। गन्ने में बने चाबुक समान सरंचना को दिखाई देते ही काटकर नष्ट कर दें, अन्यथा इसमें उपस्थित बीजाणु उड़कर अन्य पौधों को भी संक्रमित कर देंगे। चाबुक को काटने के लिए इसे पहले लिफाफे से अच्छी तरह से ढककर फिर धीरे से काटें।
चोटी बेधक का प्रभावी नियंत्रण रखें
अंड-समूहों को पत्ती समेत तोड़कर नष्ट करने से चोटी बेधक का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। कई जगह वैबिंग माइट अष्टपदी का आक्रमण देखा गया है। इसमें पत्तों पर लाइनों में सफेद मोती के आकार के धब्बे पाए जाते हैं। अष्टपदी के नियंत्रण हेतु 500 मि.ली. मिथाइल डेमेटोन (मेटासिस्टोक्स) 25 ई.सी. या 600 मिली. डाईमेथोएट (रोगोर) 30 ई.सी. को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
ट्राइकोग्रामा का करें इस्तेमाल
काइलोनिस परजीवी के 20 हजार अंडे प्रति एकड़ की दर से छोड़ें। ट्राइकोग्रामा के अंडे एक ट्राइको कार्ड पर चिपकाए जाते हैं। यह परजीवी हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल के बायोपेस्टीसाइड प्रयोगशाला और सोनीपत, महम, जींद व शाहाबाद चीनी मिलों से भी प्राप्त किए जा सकते हैं। एक कार्ड को 24 टुकड़ों में काटकर खेत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अगोले में टांगें।
चोटी बेधक कीट से बचाव के लिए 4 फेरोमोन पिंजरे का प्रयोग करें
हकृषि के रिजनल सेंटर करनाल के डायरेक्टर डॉ. ओपी चौधरी ने बताया कि चोटी बेधक की तितलियां अपने अंडे समूहों में पत्तों की निचली सतह पर देती हैं। अंडों से निकलकर सूंडियां पत्तों की मध्य शिरा में सुरंग बनाकर गन्ने की चोटी में घुस जाती हैं। ग्रसित पौधों की गोभ में सुराख मिलते हैं व गोभ कानी होकर सूख जाती है। जुलाई से सितंबर में इसके आक्रमण से ऊपर की पोरियों की आंख फूट जाती है जिस कारण चोटी में अगोलों का झुंड नजर आता है। इसे 'बन्ची टॉप' भी कहते हैं जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है। चोटी बेधक ग्रसित फसल की पैदावार में कमी आ जाती है तथा चीनी में भी कमी आती है। चोटी बेधक की तितलियों के प्रकोप का सटीक पता लगाने के लिए 4 फेरोमोन पिंजरे का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें।