आजादी के बाद पश्चिम रेलवे की पहली टनल, अंतिम फिनिशिंग दी जा रही
इंदौर शहर का डेड एंड खत्म करने के लिहाज से महत्वपूर्ण इंदौर-दाहोद रेल लाइन की प्रमुख कड़ी टीही टनल तेजी से आकार ले रही है। आजादी के बाद पश्चिम रेलवे पहली ऐसी टनल बना रहा है। टनल की फिनिशिंग लगभग पूरी हो चुकी है।
204 किमी इंदौर-दाहोद प्रोजेक्ट में कुछ साल से तेजी आई है। रेलवे की प्राथमिकता में इंदौर से धार तक ट्रेन चलाना है। इंदौर से पीथमपुर तक का ट्रैक बना हुआ है। टीही से धार तक कई हिस्सों में काम चल रहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण 2.9 किमी की टीही टनल निर्माण है, जो रेलवे के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। अक्टूबर में काम पूरा कर लिया जाएगा।
सबसे लंबी है टीही टनल
अधिकारियों के अनुसार, पश्चिम रेलवे मुंबई के अंतर्गत अब तक रेलवे की जितनी भी टनल बनी हैं, वे सभी अंग्रेजों के जमाने की हैं। इंदौर-दाहोद लाइन में 7 टनल बननी है। टीही टनल सबसे पहले बनना शुरू हुई।
यह सबसे लंबी है। रतलाम रेल मंडल के पीआरओ खेमराज मीना ने बताया कि आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए टनल के बीच विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। सीढ़ियां और लिट लगाई जाएगी। वेंटिलेशन के इंतजाम भी होंगे। बारिश में पानी न भरे, इसलिए पंप लगाए गए हैं।
पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ विनित अभिषेक ने बताया, 75 प्रतिशत टनल की फिनिशिंग हुई है। एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मैथड) तकनीक से टनल का निर्माण हो रहा है। टनल की लाइनिंग यानी फिनिशिंग के लिए गेंट्री से सीमेंट-कांक्रीट का प्लास्टर किया जा रहा है।
फिनिशिंग के बाद जुलाई में पटरी डालना शुरू करेंगे। टनल में 1 हजार ब्लास्ट किए हैं। एक ब्लास्ट में 3 से 4 मीटर की गहराई होती है। ब्लास्ट से करीब 1.75 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर समेत अन्य मटेरियल निकला, जिसे प्रोजेक्ट में उपयोग किया जाएगा।