सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला टमाटर अब किसानों की अधिक आमदनी का जरिया बन सकता है। किसान यदि वैज्ञानिक पद्धति से टमाटर की खेती करें, तो वे एक एकड़ भूमि से 100 से 120 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। मौजूदा बाजार दर के अनुसार इससे 3 से साढ़े 3 लाख रुपए तक की आय हासिल की जा सकती है।
दक्षिणी हरियाणा की भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियां टमाटर उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती हैं। यहां की दोमट और रेतीली मिट्टी इस फसल के लिए आदर्श मानी जाती है। टमाटर की पौध लगभग 70 दिनों में तैयार हो जाती है। बाजार में टमाटर का भाव सालभर औसतन 30 रुपए प्रति किलो के आसपास रहता है, जिससे किसान साल में दो बार फसल लेकर बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। उद्यान विकास अधिकारी डॉ. राधेश्याम खैरवा ने कहा कि दक्षिण हरियाणा महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर, गुरुग्राम और फरीदाबाद में टमाटर की खेती के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं। यहां की जलवायु, मिट्टी और सिंचाई सुविधाएं इस फसल के लिए अनुकूल हैं।
1 एकड़ में आधा किलो बीज पर्याप्त
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 1 एकड़ में 400 से 500 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। सर्दी की फसल की रोपाई अगस्त सितंबर में और वसंत कालीन फसल की रोपाई जनवरी-फरवरी में की जा सकती है। रोपाई से 3 सप्ताह पहले खेत में लगभग 10 टन गोबर की खाद डालकर जुताई करना लाभदायक रहता है। पौध में कम से कम 5 से 6 पत्तियां होनी चाहिए। कतारों के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच 45 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए। पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद और उसके बाद हर 8 से 10 दिन में आवश्यकता अनुसार करनी चाहिए। उपयुक्त वैरायटी और मिट्टी उद्यान विभाग के अनुसार हिसार अरुण, हिसार ललित और हिसार लालिमा जैसी वैरायटी दोमट या रेतीली मिट्टी में उत्कृष्ट उत्पादन देती हैं।