अग्नि के जगह बरगद के पेड़ को साक्षी मानकर दूल्हा-दुल्हन ने लिए 7 फेरे, राजस्थान में हुई अनोखी शादी
सनातन धर्म में विवाह का विशेष महत्व है। बड़े धूमधाम से लोग विवाह करते हैं।एक तरफ जहा आजकल जहां मॉडर्न तरीकों से शादी विवाह किया जाता है वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में एक अनूठी शादी हुई है। इस शादी का चर्चा पूरे देश में हो रहा है।
राजस्थान में हुई अनोखी शादी
करौली जिले के करणपुर क्षेत्र कैमोखरी गांव में 12 मई को एक अनूठा और प्रेरणादायक विवाह हुआ जो पर्यावरण संरक्षण और परंपरा का एक अद्भुत संगम माना जा रहा है। दुल्हन विनीता मीना और दूल्हा सत्येंद्र मीणा ने धराड़ी प्रथा के अनुसार शादी की।
यह शादी जोहर जागृति मंच आदिवासी मिशन और मीना महापंचायत के द्वारा तय नियमों के अंतर्गत कराया गया। इस शादी में पाखंड और दिखाए को दूर रखा गया और पर्यावरण प्रेम को उजागर किया गया। विवाह स्थल में नीम और बरगद के पौधे रखे गए थे जिन्हें साक्षी मानकर दूल्हा दुल्हन ने साथ फेरे लिए। शादी के अगले दिन इन पौधों को आंगन में लगा दिया गया।
जानिए क्या है धाराड़ी प्रथा
धाराड़ी प्रथा आदिवासी समुदाय की एक परंपरा है जिसमें विशेष पेड़ या स्थान को मातृ शक्ति और प्रकृति का प्रतीक माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है। फिर इस पेड़ को साक्षी मन कर दूल्हा-दुल्हन साथ तेरे लेते हैं और एक दूसरे से जल जंगल और जमीन की रक्षा का संकल्प करते है।
इस अनोखी शादी में बारातियों को विदाई के समय पेड़ पौधे भेंट किए गए ताकि वह पर्यावरण का संरक्षण कर सके। बारात सवाई माधोपुर से आई थी। पूरे देश में इस शादी के चर्चे हो रहे हैं।