जून महीने के इस दिन से लगाए प्याज की नर्सरी,अगस्त में हो जाएगी पौध तैयार
खरीफ के मौसम में प्याज की नर्सरी तैयार करने के लिए 15 जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक उपयुक्त समय होता है। इस समय किसान वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर प्याज की नर्सरी तैयार करें, जिससे की उत्तम एवं स्वस्थ प्याज की नर्सरी तैयार हो सके। ऐसा करने से नर्सरी से तैयार फसल तो स्वस्थ एवं गुणवत्ता युक्त होगी ही साथ ही इससे प्याज का अधिक उत्पादन भी मिलेगा। प्रति एकड़ 4 किलो बीच की जरूरत है। किसानों को विशेषज्ञों की सलाह से प्याज की नर्सरी तैयार करनी चाहिए। अगस्त में पौध तैयार हो जाएगी। डॉ. आलोक कुमार केंद्र अध्यक्ष राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) सलारू करनाल ने बताया कि नर्सरी तैयार करते समय वे कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए ताकि फसल से अधिक उत्पादन लेकर किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सके।
कैसे करें तैयारी कयारी की सतह समतल और बराबर रखें ,गोबर की खाद अवश्य डालें
एनएचआरडीएफ प्रजाति का ही बीज लेंः किसान एनएचआरडीएफ के-883, एडीआर विकसित प्रजातियों का बीज लेने के लिए 15 जून के बाद केंद्र में संपर्क कर सकते हैं।
भूमि का उपचारः पौधशाला की मिट्टी को 4 से 5 ग्राम/वर्ग मीटर की दर से थाइरम या केप्टान एवं ट्राइकोडर्मा विरडी 5 किग्रा/हेक्टेयर की दर से उपचारित करें। साथ ही 10 ग्राम डीएपी और 15 से 2.0 किग्रा गोबर की खाद प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिट्टी में मिला दें।
इस प्रकार करें खेत की तैयारी
क्यारियों की सतह समतल एवं बराबर रखें। क्यारियां 3. जमीन की सतह से 15 से 20 सेमी ऊंची, 1 मीटर चौड़ी एवं 3 मीटर से 10 मीटर आवश्कतानुसार लंबी रख सकते हैं। इसके चारों तरफ 30 सेमी की नालियां छोड़ते हैं जो सिंचाई का काम करती है। बारिश के मौसम में ऊंची उठी हुई क्यारियां बनाना उचित होता है।
बुवाई करने का तरीका
आमतौर पर देखा गया है कि बीज चाहे पंक्ति में बोए गए हों या छिड़ककर, बीज घना डाला जाता है। तो आर्द्रग्लन बीमारी का प्रकोप अधिक होता है। इसलिए घनी बुआई नहीं करना चाहिए। क्यारियां बनाने के बाद चौड़ाई के समानांतर 5 सेमी की दूरी पर 2 सेमी गहरी पंक्तियां बना लेते हैं। इन्हीं पंक्तियों में बीज डालते हैं, यदि बीज उपचारित न हो तो उसे बोने से पहले 2.5 ग्राम थाइरम से उपचारित कर लेना चाहिए। बीज बुआई के बाद उनको ढकना जरूरी है। इसके लिए गोबर की बारीक खाद या कम्पोस्ट खाद व बालू तीनों को बराबर अनुपात में मिलाकर
(1:1:1) क्यारियों में इस प्रकार डालें कि सभी बीज ढक जाए
सिंचाई करने का तरीका
इसके बाद फव्वारे से हल्की सिंचाई कर दें एवं सुखी घास और पराली से अच्छी तरह ढक दें। अंकुरण के बाद पराली को हटा दें।
बुवाई के बाद यह काम जरुर करें
बिजाई के 15 से 20 दिन
बाद थाइरम या कैप्टान से 2 से 2.5 ग्राम / लीटर पानी की दर से ड्रेन्चिंग करना चाहिए। निराई-गुड़ाई करते रहें। 20 दिनों बाद वायोऐल्गीन सी वीड़ एक्सट्रैक्ट नामक पोषक 4 मिली/ली. पानी की दर से मिलाकर स्प्रे करें।
इस प्रकार उखड़े पौधे
पौध 6 से 7 सप्ताह में तैयार हो जाती है। यह 0.6 से 0.9 सेमी मोटी व 12 से 15 सेमी उंची हो। ध्यान रखें कि पौध को ऊपर से 3 से 4 सेमी तक काट देना चाहिए और पौध को 1 ग्राम वाविस्टीन +1 मिली फिप्रोनिल/लीटर पानी के घोल में डुबोकर लगाएं।