कपास की फसल में गुलाबी सुंडी, हरे तेले , सफेद मक्खी का प्रकोप , जाने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
कपास की फसल में गुलाबी सूंडी का प्रकोप बढ़ रहा है। इसकी रोकथाम के लिए सप्ताह में 100 फूल और 20 हरे टिंडों की जांच करें। यदि 5 प्रतिशत फलो शिकायत लग रही है या गुलाबी सुंडी(Gulabi sundi) के 5-8 प्रौढ़ प्रति ट्रैप प्रतिरात मिल रहे हों तो स्प्रे का छिड़काव करें। Haryana krishi vishwavidyalay के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि ऐसी अवस्था में 800-900 मिली. क्विनलफॉस (एकालक्स) 25 ईसी या 600-700 मिली. प्रोफैनोफास 50 ईसी. को 175-200 लीटर पानी में मिलाकर बारीक फव्वारे द्वारा प्रति एकड़ छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव आवश्यकता पड़ने पर 10-12 दिनों बाद करें।
कोणदार धब्बों से रोकथाम : अनुसंधान निदेशक डॉ राजबीर गर्ग के अनुसार फसल को कोणदार धब्बों की बीमारी से बचाव के लिए प्लांटों माइसिन(planto machine) (30-40 ग्रामप्रति एकड़) या स्ट्रैप्टोसाइक्लिन(straptocycline) (6-8 ग्राम प्रति एकड़) व कॉपर ऑक्सीक्लोराइड(copper oxi chloride) (600-800 ग्रामप्रति एकड़) के घोल का 15-20 दिन के अंतराल
पर छिड़काव करें। 2,4-डी कपास(cotton) के लिए घातक है। 2, 4-डी से प्रभावित पौधों की समस्या हो जाने पर प्रभावित कोंपलों को 15 सेमी काट दें और इसके बाद 2.5 प्रतिशत यूरिया और 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट (zinc sulphate)के घोल का छिड़काव करें।
सफेद मक्खी के प्रकोप से बचाव जरूरी
अगस्त में हरे तेले का प्रकोप अधिक होता है। जब 2 शिशुतेला प्रति पत्ता हों तो 60 ग्राम फ्लॉनिकामिद (उलाला) 50 डब्लूजी या 400 मिलीलीटर एफीदोपयरोपेन (सैफीना) 50 जी/एल को 175-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। अगस्त में सफेद मक्खी से फसल को बचाना जरूरी है। संख्या आर्थिक कगार 8 प्रौढ़ प्रति पत्ता पर पहुंचने पर 240 मिलीलीटर स्पाईरोमेसीफेन (ओबेरॉन) 240 एससी. या 400 मिली. पाइरीप्रोक्सीफेन डायटा 10 ईसी. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।