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कीट प्रबंधन : नरमा- कपास की फसल में गुलाबी सुंड़ी, सफेद मक्खी व जड़गलन का प्रकोप, ऐसे करें रोकथाम

 

बारिश के बाद अगर कपास की फसल में पानी भरता है तो जल निकासी का प्रबंध अवश्य करें। इस प्रकार के मौसम में हरा तेला, सफेद मक्खी एवं जड़ गलन रोग का प्रभाव देखने को मिलता है, इसलिए बारिश के बाद खेत की निगरानी अवश्य करें और मौसम को देखते हुए ही स्प्रे और अन्य क्रियाएं करें, एवं हकृवि द्वारा बताई गई सिफारिशों का अनुसरण करें। बारिश के बाद बीटी कपास में एक बैग यूरिया प्रति एकड़ डालें। अगर बिजाई के समय डीएपी नहीं डाला है तो अब अच्छी बारिश के बाद उसमें डीएपी की बिजाई करें। देसी कपास में खाद की जरूरत नहीं है।

सस्य क्रियाएं

अच्छी बारिश के बाद बीटी कपास में एक बैग यूरिया प्रति एकड़ डालें। अगर बिजाई के समय डीएपी नहीं डाला है तो अब अच्छी बारिश के बाद उसमें डीएपी की बिजाई करें। देसी कपास में कोई भी खाद डालने की आवश्यकता नहीं है। हर बरसात या पानी लगाने के बाद कपास में निराई गुड़ाई अवश्य करें। किसान बिना सिफारिश किए गए खाद न डालें और फसल में एनपीके आदि का छिड़काव भी बिजाई के सौ दिन बाद ही करें। बेहतर होगा कि सारा जिंक सल्फेट बिजाई के समय डालें।

रोग प्रबंधन

1. जङ्गलन : सूखे पौधों को

उखाड़कर दबा दें, प्रभावित पौधों के पास स्वस्थ पौधों में 1 मीटर तक कार्बेडाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बना पौधों में डालें।

2. पत्ती मरोड़ यह रोग विषाणु द्वारा फैलता है। सफेद मक्खी इसको फैलाने में सहायक है।

3. अंगमारी रोगः 6 से 8 ग्राम स्ट्रेप्टोसाक्लीन व 600 से 800 ग्राम कॉपर ऑक्सिक्लोराइड को 200 लीटर पानी में मिला प्रति एकड़ 15 से 20 दिन के अंतराल पर दो से तीन छिड़काव करें।


कीट प्रबंधन : खेत के आसपास से हटाएं बनछटियां

अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि नरमा की फसल के आसपास पिछले साल की बनछटियां हटा दें। इनसे गुलाबी सुंडी का प्रकोप होता है। गुलाबी सुंडी अदखिले टिंडों में नरमे के दो बीजों बिनौले को जोड़कर 'भंडारित लकड़ियों' में निवास करती हैं।

नरमा की फसल में 60 दिन बाद छिड़काव जरूरी

नरमा की फसल 60 दिनों की होने के बाद और गुलाबी सुंडी का प्रकोप फलीय भागों फूल पर 5-10 प्रतिशत होने पर एक छिड़काव प्रोफेनोफोस क्यूराक्रोन, सेल्क्रोन, कैरिना 50 ईसी की 3 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से करें। अगला छिड़काव जरूरत पड़ने पर क्यूनालफास 20 एएफ की 4 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से 10-12 दिनों बाद करें।


थ्रिप्स/चुरड़ाः नीम से बने कीटनाशकों का छिड़काव करें

थ्रिप्स/चूरड़ा के प्रकोप में 60 दिनों से कम अवधि की फसल में यदि 30 थ्रिप्स प्रति 3 पत्ता मिले तो नीम आधारित कीटनाशक छिड़कें। सफेद मक्खी यदि 6-8 प्रौढ़ प्रत्ति पत्ता एवं हरा तेला 2 शिशु प्रति पत्ता पर फ्लॉनिकामिड़ (उलाला) 50 डब्लू जी की 60 ग्राम मात्रा प्रति 175 लीटर पानी की दर से एक छिड़काव करें।

चित्तीदार सुंडीः फैनवलरेट के छिड़काव से करें बचाव

देसी कपास में चित्तीदार सुंडी पर नियंत्रण के लिए 100-125 मिलीलीटर फैनवलरेट (फैनवाल) 20 ईसी को 150-175 लीटर पानी में घोलकर एक छिड़काव करें। ज्यादा प्रकोप होने पर स्पाइनोसेड ट्रेसर 45 एससी की 75 मिली मात्रा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।