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 आपरेशन सिन्दूर-जो चाहा वो सब हासिल किया भारत ने

 
 

-तुषार कोठारी

7 अप्रैल की सुबह से शुरु हुआ भारत पाक संघर्ष केवल तीन बाद 10 अप्रैल को अचानक सीजफायर की घोषणा के साथ थम गया। सुबह तो खबरें चल रही थी कि भारत ने पाकिस्तान के कई एयर बेस तबाह कर दिए है,लेकिन शाम को अचानक ही सीजफायर होने की बात सामने आ गई। हांलाकि सीजफायर की घोषणा के बावजूद कुछ घण्टों के बाद सीजफायर तोडा गया,लेकिन इसके बाद अभी तक कहीं से सीजफायर उल्लंघन की कोई सूचना नहीं है।

7 अप्रैल को शुरु हुए भारत पाक संघर्ष से करोडों भारतीयों को लगने लगा था कि इस बार पाकिस्तान का पूरा निपटारा होने वाला है,लेकिन जैसे ही सीजफायर होने की खबर आई,उन करोडों भारतीयों में निराशा छा गई। कई तो बेहिचक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गालियां भी देने लगे। उन्हे ऐसा लगा जैसे कि भारत युद्ध हार गया हो। सामान्य मानव के भावावेश में इस तरह की प्रतिक्रियाएं सहज ही सामने आ जाती है,लेकिन अगर 22 अप्रैल से चले पूरे घटनाक्रम को बारीकी से परखा जाए,तो समझ में आ जाता है,कि सब कुछ ठीक वैसे ही हुआ जैसा भारत चाहता था। इतना ही नहीं भारत ने इस पूरे संघर्ष में बहुत नाममात्र के नुकसान से वह सब कुछ हासिल किया जो वह चाहता था।

भारतीयों में अचानक हुई सीजफायर से उपजी निराशा का एक बहुत बडा कारण यह है कि लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रहते बहुत बडी अपेक्षाएं कर ली थी। कईयों को लग रहा था कि ना सिर्फ पीओके भारत के कब्जे में आने वाला है,बल्कि बलूचिस्तान और सिन्ध भी पाकिस्तान से अलग होने वाले है। पाकिस्तान का टूटना भी तय ही लगने लगा था। इतनी बडी अपेक्षाएं लगाने के बाद अगर अचानक से सीजफायर की खबर आ जाए तो लोगों का निराश होना स्वाभाविक ही है।

लेकिन आपरेशन सिन्दूर का लक्ष्य यह था ही नहीं। आपरेशन सिन्दूर के लिए जो लक्ष्य भारत सरकार ने निर्धारित किया था,उससे अधिक ही हासिल किया गया। लेकिन इसे समझने के लिए 22 अप्रैल से शुरु हुए पूरे घटनाक्रम को बहुत बारीकी से देखना होगा। आईए पूरे घटनाक्रम को एक साथ देखते है।

22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों का धर्म पूछकर उनकी नृशंस हत्याएं करने का ह्रïदय विदारक घटनाक्रम हुआ। यह हमला इतना वीभत्स और डरावना था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना विदेश दौरा स्थगित करके अगली ही सुबह भारत पंहुच गए। हवाई अड्डे पर ही उन्होने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। उसी दिन सुरक्षा मामलों की उच्चस्तरीय केबिनेट कमेटी की भी बैठक हो गई।

पूरा देश इस वक्त गम और गुस्से से भरा हुआ था। अगले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार की धरती से यह हुंकार भरी कि आतंकियों और उनके आकाओं को कल्पना से भी अधिक सजा दी जाएगी। 24 अप्रैल से 6 मई तक देश में अलग अलग तरह की गतिविधियां होती रही। सिन्धु जल सन्धि को स्थगित कर दिया गया। पाकिस्तान ने व्यापार पूरी तरह रोक दिया गया। पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए। इतना सबकुछ हुआ,लेकिन ध्यान दीजिए भारत सरकार ने कहीं भी अधिकारिक तौर पर इस घटनाक्रम में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया था। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के भी बयान आए,लेकिन उनमें भी कहीं पाकिस्तान का नाम नहीं था। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि एक एक को चुन  चुन कर सजा दी जाएगी। राजनाथ सिंह ने कहा था कि देश के लोग जैसी चाहते है,वैसी ही कार्यवाही की जाएगी। लेकिन इसी के साथ तमाम टीवी चैनलों पर भारत का पाकिस्तान के साथ बाकायदा युद्ध ही छिड चुका था और कई चैनलों ने तो पाकिस्तान को पूरी तरह नष्ट भ्रष्ट भी कर दिया था।

उधर दूसरी तरफ पाकिस्तान के राजनेता और टीवी चेनल बिना मांगे सफाईयां देने लगे थे। पाकिस्तान की टीवी डिबेट्स में आने वाले मंत्री,नेता और वहां के तथाकथित बुद्धिजीवी इस बात पर हायतौबा मचा रहे थे कि भारत ने बिना किसी सबूत के पहलगाम मामले में पाकिस्तान को घसीटना शुरु कर दिया है। यह भी कहा जा रहा था कि पाकिस्तान ने तो इस आतंकी घटना की निन्दा की है और पाकिस्तान को इस घटना पर दुख है। इतना ही नहीं वहां के मंत्री यह पेशकश भी करने लगे थे कि इस घटना की किसी अन्य देश की तटस्थ जांच एजेंसी से जांच करवाई जाना चाहिए,जिससे यह साबित हो सके कि इस घटना में पाकिस्तान को कोई  हाथ नहीं है। इसके साथ ही वहां के नेता भारत की किसी सैन्य कार्यवाही होने पर परमाणु बम की धमकियां भी देने लगे थे। भारत द्वारा रद्द की गई सिन्धु जल सन्धि को पाकिस्तान के मंत्रियों ने एक्ट आफ वार का भी दर्जा दे दिया था।

लेकिन पाकिस्तान की इन सफाईयों और धमकियों पर भारत की ओर से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। भारत की ओर से सिर्फ कार्यवाहियां की जा रही थी,जिनमें कूटनीतिक और आर्थिक कार्यवाहियां शामिल थी। घटना को दो हफ्ते गुजर चुके थे और भारतीयों का गुस्सा बढता जा रहा था। विपक्षी नेता सरकार पर तीखे हमले करने लगे थे। आम लोगों मेंं भी गुस्सा बढने लगा था।

अचानक 7 मई की सुबह टीवी चैनलों पर खबरें चलने लगी कि भारत ने पाकिस्तान के भीतर घुस कर बहावलपुर तक के आतंकी ठिकानो और आतंकी हेडक्वार्टर्स को ध्वस्त कर दिया है। इन अड्डों में पनाह पाए दो सौ से ज्यादा आतंकी और उनके मददगार दोजख के लिए रवाना कर दिए गए थे। इसी दिन विदेश और रक्षा मंत्रालय की संयुक्त प्रेस ब्रीफींग की गई,जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी और रक्षा मंत्रालय की ओर से कर्नल सोफिया कुरेशी व विंग कमाण्डर व्योमिका सिंह ने भारत द्वारा किए गए हमले की जानकारी दी। 

22 अप्रैल के बाद यह पहला मौका था,जब भारत सरकार की ओर से अधिकारिक तौर पर पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान का नाम लिया गया। लेकिन इस संयुक्त प्रेस ब्रीफींग के शब्दों पर ध्यान दीजिए। पूरी प्रेस ब्रीफींग में भारत की ओर से साफ कर दिया गया था कि भारत ने जवाबी कार्यवाही की है और यह आनुपातिक रुप से की गई है। इसमें किसी भी सैन्य या नागरिक स्थानों को नुकसान नहीं पंहुचाया गया है। यह भी कहा गया था कि अगर पाकिस्तान की ओर से कोई हरकत की गई तो उसका उचित जवाब दिया जाएगा। भारत किसी भी प्रकार से मामले को एस्कलेट नहीं करना चाहता।

7 मई की पहली प्रेस ब्रीफींग से लगाकर दस मई की सुबह हुई प्रेस ब्रीफींग तक हर बार भारत का यही पक्ष रहा कि हम मामले को एस्कलेट नहीं करना चाहते। हम केवल जवाबी कार्यवाही कर रहे है। इस दौरान किसी भी अधिकारी ने कोई उग्र्रता वाला बयान जारी नहीं किया। इतना ही नहीं सरकार के किसी भी मंत्री ने इस दौरान कोई बयान नहीं दिया। ये केवल टीवी चैनल थे जो अपने स्टुडियों में न केवल युद्ध करवा रहे थे,बल्कि इस्लामाबाद तक में भारत की सेनाएं घुसा दे रहे थे। टीवी चैनल बलूचिस्तान को आजाद करवा चुके थे और पीओके को भारत में मिलवा चुके थे।

सीजफायर हो जाने के बाद अब देखिए भारत ने इससे क्या क्या हासिल किया। भारत ने पाकिस्तान के दिल पंजाब के भीतर तक जाकर हमला किया और ये बता दिया कि भारत कहां तक जा सकता है। तमाम आतंकी हेडक्वार्टर्स उडा कर आंतकी नेटवर्क की कमर तोड दी गई। पूरे विश्व को संदेश दे दिया गया कि स्वयं को परमाणु शक्ति सम्पन्न बताने वाले पाकिस्तान की औकात कितनी है। पाकिस्तान द्वारा लगातार परमाणु हमलों की धमकी को अनसुना करके हमेशा के लिए उसकी ब्लेकमेलिंग की प्रवृत्ति की हवा निकाल दी। सिन्धु जल समझौता तोड कर पाकिस्तान को पूरी तरह बर्बाद करने की दीर्घकालिक रणनीति पर काम चालू कर दिया। पाकिस्तान की बचाव की तैयारियों को परख लिया और साथ में अपनी तैयारियों को भी जांच लिया गया। इतनी सारी उपलब्धियां हासिल की गई और इसके एवज में भारत को जो कीमत चुकानी पडी वह एक पूरे युद्ध की तुलना में नाममात्र की है। 

रही बात पीओके और बलूचिस्तान की,तो सीजफायर हो जाने का यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि इन लक्ष्यों को भुला दिया गया है। जो चीज बिना युद्ध लडे हासिल की जा सकती है,उसके लिए युद्ध करके सैनिकों का खून बहाने की क्या जरुरत है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ मौलाना आसिम मुनीर के इस मूर्खताभरे कदम और पाकिस्तान को मिली हार का असर बहुत जल्दी पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में देखने को मिलेगा। आसिम मुनीर के खिलाफ माहौल बनेगा और पाकिस्तानी सेना में आसिम मुनीर के प्रतिद्वंदी इस हार का उपयोग आसिम मुनीर को निपटाने के लिए करेेंगे। इससे बचने के लिए आसिम मुनीर सत्ता पर पूरा कब्जा करने की कोशिश करेगा। राजनीति अस्थिरता के इस दौर मेंं बलूचिस्तान वालों को अपनी लडाई तेज करने का और ज्यादा मौका मिलेगा। पाकिस्तान अपने ही अन्तर्विरोधोंं से टूटने की कगार पर पंहुच जाएगा और तब भारत को बिना मेहनत के पूरा फल मिल जाएगा। वैसे भी पाकिस्तान में अज्ञात बन्दूकधारी लगातार भारत विरोधियों को जहन्नुम पंहुचा ही रहे थे,उनके कामों में भी अब पहले से भी ज्यादा तेजी आएगी।

तो कुल मिलाकर भारत ने वो सब हासिल किया जो वह आपरेशन सिन्दूर से हासिल करना चाहता था। बिना युद्ध के भी देशों को तोडा जा सकता है,इसकी नींव भारत ने आपरेशन सिन्दूर के जरिये रखी है और यह बात आने वाले कुछ ही सालों में साबित हो जाएगी।