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जानिए भारत की वो हिन्दू महारानी अहिल्याबाई होलकर जिनका अंग्रेज भी मानते थे लोहा, PM Modi ने जारी किया उनके नाम पर सिक्का

 

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहिल्याबाई होलकर की 320वीं जयंती पर ₹300 का विशेष सिक्का जारी किया। इसके साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल प्रवास के दौरान महारानी अहिल्याबाई होलकर को समर्पित एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया है। ₹300 के इस सिक्के पर अहिल्याबाई की तस्वीर भी देखने को मिल रही है।


 अंग्रेज भी मानते थे इस हिंदू रानी का लोहा


 प्रधानमंत्री मोदी ने सिक्के जारी करके अहिल्याबाई होलकर के बारे में जानकारी दें। अहिल्याबाई होल्कर, आज भी मालवा में बेहद सम्मान के साथ याद किया जाता है। 31 मई को उनके जयंती पर कई तरह के महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन होता है। अहिल्याबाई होलकर एक ऐसा नाम है जिसे पूरी दुनिया में लोग सम्मान के साथ लेते हैं। मालवा क्षेत्र में अहिल्याबाई को मां-साब के नाम से जाना जाता था। अंग्रेज इतिहासकार भी अहिल्याबाई के बारे में काफी तारीफ करते थे। एनी बेसेंट ने अहिल्याबाई की प्रशंसा में कई बातें लिखी है।


सामान्य घर से राजमहल पहुंची थी अहिल्याबाई 

 अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ था। 8 साल की उम्र में उन्हें मालवा के साथ-साथ मल्हार राव होल्कर ने देखा जब वह पुणे जा रही थी। उसे समय वह गरीबों को खाना खिला रही थी और उनका दया भाव देखकर मल्हार राम ने उन्हें अपना बहू बनाने का फैसला लिया। इसके बाद मल्हार राव ने पुत्र खंडेराव के साथ अहिल्याबाई का विवाह कर दिया।


 राजमहल में अहिल्याबाई का जीवन सुखी नहीं बिता। बहुत कम उम्र में युद्ध में अहिल्याबाई के पति मारे गए उसके कुछ सालों के बाद ससुर का देहांत हो गया उसके बाद बेटे भी चल बसे। इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह खुद मालवा की बागडोर संभालेंगे और जनता ने भी इस बात को स्वीकार किया।


 पूरे राज्य का किया कुशल नेतृत्व


 मालवा की गद्दी संभालने के बाद राज्य में कुछ विरोध के बावजूद भी अहिल्याबाई को सेवा का भरपूर समर्थन मिला। मात्र 1 साल के भीतर ही उन्हें कई आक्रांताओं का सामना करना पड़ा लेकिन वह सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ी। उन्होंने अपनी गोद लिए पुत्र तुकाजी राव होलकर को अपना सेनापति बना लिया।


 रानी अहिल्याबाई के पास नेतृत्व करने की बेहद अच्छी क्षमता थी। उन्होंने पहले ही मराठा साम्राज्य पर अंग्रेजों के खतरा को भांग लिया था। 1772 में ही उन्होंने पेशवा को पत्र लिखा और अंग्रेजों से सावधान रहने के लिए कहा।


 30 साल तक अहिल्याबाई ने किया शासन

 अहिल्याबाई ने मलवा पर साल तक शासन किया और उनके शासन में पूरे राज्य में कुएं बावड़ी मंदिर घाट आदि बनवाए गए। उनके राज में पूरे राज्य में समृद्धि देखने को मिलती थी और वह गरीबों की तकलीफें सुनने के लिए अपना दरबार लगाती थी।

 अहिल्याबाई होलकर के शासन में किसानों के ऊपर किसी भी तरह का अत्याचार नहीं किया जाता था और किसानों को काफी अधिकार दिए गए थे। उन्होंने चौड़ी सड़के बनवाई इसके साथ ही काफी वृक्षारोपण करवाया। भीलो को खानाबदोश जीवन त्याग कर कर उन्होंने किसान के रूप में बसा दिया। 70 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई जिसके बाद उनके गोद लिए बेटे तुकाजी राव होल्कर ने मालवा का गाड़ी संभाल लिया।