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बारानी क्षेत्रों में जौ की बिजाई अक्टूबर माह के दूसरे पखवाड़े में शुरू करे, उन्नत किस्म के बीज व विधि
 

बारानी क्षेत्रों में जौ की बिजाई अक्टूबर माह के दूसरे पखवाड़े में शुरू कर दें। सिंचित क्षेत्रों में बिजाई 15 से 30 नवंबर के बीच कर लें। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि जौ की उन्नत किस्मों बीएच-75, बीएच-393, बीएच-902, बीएच-885 व बीएच 946 का प्रयोग करें। माल्ट जौ की किस्में विशेषतः बीएच 393 की बुवाई 15 से 30 नवंबर के बीच पूरी कर लें। बीएच 885 किस्म की बिजाई 10 से 25 नवंबर के बीच कर लें। दिसंबर माह में बोई गई फसल पछेती मानी जाती है। पछेती बोई गई फसल में माल्ट की पैदावार व गुणवत्ता कम हो जाती है।

बीएच 885 किस्म में खूड़ से खूड़ की दूरी 18 सेंटीमीटर होनी चाहिए व खाद की मात्रा इस किस्म के लिए 16 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 35
किलोग्राम यूरिया, 16 किलोग्राम फास्फोरस व 8 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ डालें। दीमक से बचाव के लिए 600 मिलीलीटर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी. कोपानी में मिलाकर 12.5 लीटर का घोल बनाएं और एक क्विंटल बीज का बुवाई से एक दिन पहले उपचार करें। बिजाई से पहले बीज का वीटावैक्स या बाविस्टिन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से सूखा उपचार करें।

अलसी का 20 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ डालें

अलसी की बिजाई भी अक्टूबर माह में करें। बिजाई के लिए खेत को तैयार कर लें। अलसी की के-2 किस्म बोने की सिफारिश की जाती है। इसके लिए बीज 20 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त है। बिजाई कतारों में 23 सेंटीमीटर के फासले पर करें। खाद में 22 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 48 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से बिजाई के समय दें।

पशुओं के लिए लूसर्न की टी-9 चारे की पौष्टिक किस्म

चारा फसल लूसर्न रिजका या अल्फाल्फा की खेती मुख्य रूप से रबी सीजन में की जाती है। यह पशुओं के लिए एक उच्च गुणवत्ता वाला, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारा है। इसकी खेती के लिए पर्याप्त जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। इसकी बिजाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में करें। लूसनं टी 9 अच्छी किस्म है। एक एकड़ खेत के लिए 4-5 किलोग्राम बीज काफी है। बिजाई कतारों में एक फीट के फासले पर करें। इसके बीज को भी लूसर्न का राइजोबियम का टीका लगाकर बोना चाहिए। लूसर्न बोते समय 22 किलोग्राम यूरिया और 250 किलोग्राम सुपर फास्फेट प्रति एकड़ डालें। इस खाद को ड्रिल द्वारा 10 सेंटीमीटर गहराई तक डालना चाहिए।