धान की फसल में दिखे ऐसे पौधे तो उखाड़कर नष्ट कर दें ,पैदावार बढ़ेगी, कई जिलों में धान की फसल पर रोग का प्रकोप
हरियाणा के अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल और कैथल जिले में धान की फसल में पौधों के बौनेपन की शिकायतें मिली हैं। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की टीमों ने इन जिलों में खेतों का निरीक्षण किया। वैज्ञानिकों द्वारा सघन क्षेत्रीय निरीक्षण के दौरान देखा गया कि खेतों में कुछ स्थानों पर पैच या टुकड़ों में पौधे अत्यधिक बौने मिले हैं। इनकी पत्तियों का रंग गहरा हरा होना, लेकिन कल्लों की वृद्धि कम या पूर्णतय रुकना पाया गया है। संक्रमित पौधों की जड़ प्रणाली का अविकसित या अपर्याप्त विकास, जिससे पोषक तत्वों एवं जल अवशोषण में कमी होना भी मिला। कुछ प्रभावित खेतों में सफेद पीठ वाला तेला का निम्न स्तर पर आक्रमण भी मिला, जो इस रोग का संभावित वाहक है। ऐसे में कृषि विज्ञानिकों ने किसानों के लिए विशेष हिदायतें जारी की हैं।
खेतों का लगातार निरीक्षण करें प्रारंभिक अवस्था में रोग वाहक कीटों की पहचान व उनके प्रभावी नियंत्रण से इस रोग को रोकना आसान है।
नर्सरी में सफेद पीठ वाला तेला हॉपर्स नियंत्रण आवश्यक है। कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए डायनोटीफ्यूरान 20% एसजी ओशीन या टोकन, 80 ग्राम/एकड़ या पाइमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्लूजी चैस 120ग्राम/एकड़ को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जरूरत पड़ने पर पुनः एक या दो बार कीटनाशी का छिड़काव करें, विशेषकर यदि हॉपर्स की संख्या अधिक हो।
खेतों में लाइट ट्रैप का प्रयोग करें, जिससे की तेला यानी हॉपर के आवागमन का पता चल सके एवं समय रहते तेले का प्रभावी नियंत्रण किया जा सके।
साल 2022 में भी आई थी यह बीमारी
हकृवि अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि वर्ष 2022 में भी हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में इसी प्रकार का प्रकोप देखा गया था। जिसमें एसआरबीएसडीवी की प्रमुख रोगजनक के रूप में पुष्टि हुई थी और इसके साथ राइस गॉल ड्वार्फ वायरस की भी आंशिक उपस्थिति रही। उस वर्ष धान की पैदावार में अधिक संक्रमित खेतों में कमी पाई गई थी। किसान धान के खेतों की लगातार निगरानी करें, बौने पौधे दिखाई देने पर तुरंत प्रभाव से विश्वविधालय के वैज्ञानिकों एवम कृषि विभाग के अधिकारीयों से संपर्क करें।
संदेहित रोग और वाहक
हकृवि वैज्ञानिकों के अनुसार यह साउथर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक ड्वार्फ वायरस हो सकता है, जिसकी प्रयोगशाला से पुष्टि होनी बाकी है। यह वायरस रिवोवर्डी परिवार का डीएसआरएनए वायरस है। सफेद पीठ वाला तेला इसका संभावित वाहक है। यह कीट रोग को पौधे से पौधे में स्थानांतरित करता है।
हकृवि ने जारी की एडवाइजरी
रोगग्रस्त पौधों को पहचान कर उखाड़ें और गहरे गड्डों में दबाएं या जलाकर नष्ट करें ताकि रोग का प्रसार न हो।
नालियों और मेढ़ों की नियमित सफाई करें। खरपतवार और अनुवांछित पौधों को हटाकर नष्ट करें। इन पौधों पर कीट आश्रय लेते हैं।
खेत में अधिक जलभराव न 3. खेत में अधिक जलभराव से की व्यवस्था रखें, जिससे पौधे स्वस्थ रहें और वायरस का असर कम हो।