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चना और गेहूं के बीज बिना उपचार के बोए जाते हैं तो 20 से 25% तक घट सकती है पैदावार, बुवाई से इतने समय पहले करें ट्रीटमेंट

 

रबी की फसल का आधा मुनाफा बोवनी से पहले ही तय हो जाता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बीज का समय पर और सही तरीके से उपचार नहीं किया गया, तो फसल की शुरुआत से ही रोग और फफूंद खेत में जगह बना लेते हैं। मध्यप्रदेश के कई जिलों में गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों में हाल के वर्षों में ब्लास्ट, स्मट और
रूट रॉट जैसे रोग तेजी से फैले हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक बीज उपचार यानी "सीड ट्रीटमेंट" ही इनसे बचाव का सबसे असरदार तरीका है। इससे न सिर्फ पौधे स्वस्थ और मजबूत बनते हैं, बल्कि अंकुरण दर भी बढ़ती है और उत्पादन में 15-20% तक बढ़ोतरी होती है। बीज उपचार करने से किसानों को महंगे छिड़काव की जरूरत कम पड़ती है, जिससे खेती की लागत घटती है। यह एक बार की प्रक्रिया है, लेकिन असर पूरी फसल पर रहता है। कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों का कहना है कि बीज उपचार को आदत बना लेने वाले किसान हर साल बिना अतिरिक्त खर्च के फसल को मिट्टीजन्य रोगों से बचा सकते हैं।

बीज उपचार क्या है

बीज उपचार वह प्रक्रिया है जिसमें बीजों को फफूंदनाशक, कीटनाशक या जैविक घोल से इस तरह तैयार किया जाता है कि वे मिट्टी में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं और कीटों से सुरक्षित रहें। यह प्रक्रिया बोवनी से 24-48 घंटे पहले की जाती है।

उपचार के फायदे

बीजों की अंकुरण क्षमता और फसल की समान वृद्धि बढ़ती है।

पौधे शुरुआत से रोगमुक्त रहते हैं।

मिट्टी में मौजूद फफूंद और कीटों से सुरक्षा मिलती है।

रासायनिक छिड़काव की जरूरत घटती है और पैदावार बढ़ती है।


रबी फसलों का बीज उपचार

गेहूं: बोवनी से पहले बीज को फफूंदनाशक दवा थायरम 2 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार करें। इससे टील्ट स्मट और लूज स्मट जैसे रोगों से बचाव होता है।

चना: रूट रॉट और कॉलर रॉट से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज से ट्रीट करें, फिर राइजोबियम कल्चर (20 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचार करें।

मसूरः बीज को थायरम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज से ट्रीट करें, इसके बाद पीएसबी कल्चर 10 ग्राम प्रति किलो बीज मिलाएं ताकि पौधों को फॉस्फोरस बेहतर मिले।

सरसों मिट्टीजन्य रोगों से बचाने के लिए थायरम 3 ग्राम या मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति किलो बीज से ट्रीट करें।

मटर बीज को थायरम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार करें और बाद में राइजोबियम कल्चर 10 ग्राम प्रति किलो बीज मिलाएं।

कैसे करें बीज का ट्रीटमेंट

गेहूं, चना, मसूर और सरसों जैसी फसलों के लिए सबसे पहले बीजों को साफ पानी से धोकर सुखाएं। इसके बाद फफूंदनाशक दवाओं जैसे थायरम (2 ग्राम/किलो बीज) या कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम/किलो बीज) से उपचार करें।

दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर या पीएसबी (Phosphate Solubilizing Bacteria) मिलाने से पौधों की जड़ों में लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं, जो पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करते हैं।

क्या सावधानियां रखें

बीज उपचार हमेशा छायादार जगह पर करें और इसके तुरंत बाद बीजों को धूप में न सुखाएं। रासायनिक दवाओं को हाथ से सीधे न छुएं, दस्ताने या कपड़ा जरूर पहनें। उपचारित बीज बोवनी के 24 घंटे के भीतर बोएं।

बीज उपचार का सही क्रम

बीज उपचार हमेशा तीन चरणों में करें। सबसे पहले बीज को फफूंदनाशक दवा जैसे थायरम या कार्बेन्डाजिम से ट्रीट करें ताकि फफूंद और मिट्टीजन्य रोगों से सुरक्षा मिले। इसके बाद यदि जरूरत हो तो कीटनाशक (जैसे इमिडाक्लोप्रिड या क्लोरोपायरीफॉस) का उपयोग करें ताकि दीमक और शुरुआती कीटों से बचाव हो सके। अंत में जब बीज सूख जाए, तभी उस पर जैविक ट्रीटमेंट यानी राइजोबियम या पीएसबी कल्चर लगाएं।

याद रखें- रासायनिक -जैविक उपचार एक साथ न करें। पहले रासायनिक, फिर जैविक ट्रीटमेंट करें। यही क्रम बीज की सुरक्षा और अंकुरण दोनों के लिए सबसे प्रभावी है।