Movie prime

आलू की बिजाई करने वाले किसान 15 अक्टूबर से कर सकते हैं, जाने आलू, मटर की विभिन्न किस्में व अच्छी पैदावार के लिए उत्तम विधि

 

आलू और मटर की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। इन सब्जियों को व्यवसायिक फसलों के रूप में एक बहुत बड़े कृषि भू भाग पर किसानों द्वारा उगाया जाता है। डॉ. सुरेश कुमार अरोड़ा, सब्जी सलाहकार महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल ने बताया कि उन्नत किस्मों का चयन एवं समय पर बिजाई के साथ-साथ वैज्ञानिक पद्धति से इन दोनों सब्जियों की देखरेख करके उत्तम एवं अधिक उत्पादन प्राप्त किया सकता है।

आलू की उन्नत किस्मों का चुनाव व बिजाई का सही समयः आलू की उन्नत किस्मों में कुफरी चंद्रमुखी ओर कुफरी जवाहर आलू की अगेती उन्नत किस्में हैं, जिनकी बिजाई किसान अक्तूबर के पहले सप्ताह से लेकर अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं। कुफरी सिंदूरी, कुफरी बादशाह, कुफरी पुष्कर, कुफरी गौरव आदि आलू की इन किस्मों की बिजाई 15 से 31 अक्टूबर तक की जाती है। 90 से 100 दिन में आलू की फसल पक कर तैयार हो जाती है। इसके अतिरिक्त कुफरी सतलुज, कुफरी पुखराज और कुफरी फ्राई सोना, कुफरी लीमा, कुफरी थार 2, कुफरी नीलकंठ मध्यम लेट समय यानि 110 दिन में पकने वाली आलू की किस्में हैं। कुफरी फ्राई सोना को फ्रेंच फ्राई बनाने के लिए काफी इस्तेमाल किया जाता है।

स्वस्थ आलू के बीजों का प्रयोग ही बिजाई के लिए करेंः बिजाई के लिए स्वस्थ कंदों का इस्तेमाल करें। किसान हरियाणा बागवानी विभाग के केंद्रों से या हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से अच्छा रोग रहित एवं स्वस्थ बीज प्राप्त कर सकते हैं।


आलू की बुवाई में 20 सेमी की दूरी तो मटर में 30-40 सेमी का अंतर रखें

आलू के बीज की मात्रा व बिजाई विधि

आलू के बीज की मात्रा उनके आकार पर निर्भर करती है। लगभग 30 से 70 ग्राम के कंदों को 55 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बिजाई करनी चाहिए तथा 20 से 25 सेंटीमीटर मोटी डोलियां बनाएं। 12 क्विंटल कंद प्रति एकड़ की बिजाई के लिए पर्याप्त रहते हैं। अगर कंद 100 ग्राम के हो तो उनको 35 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं। इससे बड़े कंदो को काटकर बिजाई की जा सकती है लेकिन कटे हुए कंदों की बिजाई 20 से 31 अक्टूबर तक ही करनी चाहिए।

उत्तम विधि से ऐसे करें मटर की खेती

मटर की दो प्रजाति, जिनमें बोनीविले और पंजाब 89 हैं। इनकी बिजाई का समय उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में अक्तूबर के अंत से लेकर नवंबर महीने तक किया जा सकता है। इनकी बिजाई समतल क्यारिया बनाकर सीधा बीज उन में बोया जाता है, जिसकी मात्रा 20 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त होती है। बिजाई में कतार से कतार का फासला 30 से 40 सेंटीमीटर और पौधों का फासला 3 से 5 सेंटीमीटर रखना चाहिए। उत्तम विधि अपनाकर किसान अधिक उत्पादन ले सकते हैं।

आलू और मटर की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है। इन सब्जियों को व्यवसायिक फसलों के रूप में एक बहुत बड़े कृषि भू भाग पर किसानों द्वारा उगाया जाता है। डॉ. सुरेश कुमार अरोड़ा, सब्जी सलाहकार महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल ने बताया कि उन्नत किस्मों का चयन एवं समय पर बिजाई के साथ-साथ वैज्ञानिक पद्धति से इन दोनों सब्जियों की देखरेख करके उत्तम एवं अधिक उत्पादन प्राप्त किया सकता है।

आलू की उन्नत किस्मों का चुनाव व बिजाई का सही समयः आलू की उन्नत किस्मों में कुफरी चंद्रमुखी ओर कुफरी जवाहर आलू की अगेती उन्नत किस्में हैं, जिनकी बिजाई किसान अक्तूबर के पहले सप्ताह से लेकर अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं। कुफरी सिंदूरी, कुफरी बादशाह, कुफरी पुष्कर, कुफरी गौरव आदि आलू की इन किस्मों की बिजाई 15 से 31 अक्टूबर तक की जाती है। 90 से 100 दिन में आलू की फसल पक कर तैयार हो जाती है। इसके अतिरिक्त कुफरी सतलुज, कुफरी पुखराज और कुफरी फ्राई सोना, कुफरी लीमा, कुफरी थार 2, कुफरी नीलकंठ मध्यम लेट समय यानि 110 दिन में पकने वाली आलू की किस्में हैं। कुफरी फ्राई सोना को फ्रेंच फ्राई बनाने के लिए काफी इस्तेमाल किया जाता है।

स्वस्थ आलू के बीजों का प्रयोग ही बिजाई के लिए करेंः बिजाई के लिए स्वस्थ कंदों का इस्तेमाल करें। किसान हरियाणा बागवानी विभाग के केंद्रों से या हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से अच्छा रोग रहित एवं स्वस्थ बीज प्राप्त कर सकते हैं।


आलू की बुवाई में 20 सेमी की दूरी तो मटर में 30-40 सेमी का अंतर रखें

आलू के बीज की मात्रा व बिजाई विधि

आलू के बीज की मात्रा उनके आकार पर निर्भर करती है। लगभग 30 से 70 ग्राम के कंदों को 55 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बिजाई करनी चाहिए तथा 20 से 25 सेंटीमीटर मोटी डोलियां बनाएं। 12 क्विंटल कंद प्रति एकड़ की बिजाई के लिए पर्याप्त रहते हैं। अगर कंद 100 ग्राम के हो तो उनको 35 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं। इससे बड़े कंदो को काटकर बिजाई की जा सकती है लेकिन कटे हुए कंदों की बिजाई 20 से 31 अक्टूबर तक ही करनी चाहिए।

उत्तम विधि से ऐसे करें मटर की खेती

मटर की दो प्रजाति, जिनमें बोनीविले और पंजाब 89 हैं। इनकी बिजाई का समय उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में अक्तूबर के अंत से लेकर नवंबर महीने तक किया जा सकता है। इनकी बिजाई समतल क्यारिया बनाकर सीधा बीज उन में बोया जाता है, जिसकी मात्रा 20 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त होती है। बिजाई में कतार से कतार का फासला 30 से 40 सेंटीमीटर और पौधों का फासला 3 से 5 सेंटीमीटर रखना चाहिए। उत्तम विधि अपनाकर किसान अधिक उत्पादन ले सकते हैं।