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बाजरे की फसल में सुंडी का प्रभाव, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से सुंडी पर ऐसे करें नियंत्रण

 

इस समय बाजरे की फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप देखने में आया है। फॉल आर्मीवर्म को स्पोडोप्टेरा प्रूगीपरडा भी कहा जाता है। यह विनाशकारी कीट है जो पौधों की पत्तियों, तनों और अनाज को खाता है, जिससे उपज में भारी कमी हो सकती है। रेवाड़ी के साथ ही महेंद्रगढ़ जिले के भी कुछ खेतों में इस कीट का आक्रमण मिला है। यह प्रमुख रूप से मक्का का सर्वाधिक हानिकारक कीट है, लेकिन इसका आक्रमण बाजरे की फसल में भी देखने को मिल रहा है। यह कीट बाजरे की बिजाई अलग-अलग समय पर करने से ज्यादा आक्रमण होता है। किसानों को चाहिए कि वे खेतों की निगरानी करते रहें। ज्यादा प्रकोप है तो कृषि मंत्रालय की ओर से सिफारिश की गई दवाइयों का उपयोग कर सकते हैं।

निगरानी के लिए प्रति एकड़ में 5 फेरोमोन ट्रैप लगाएं

फॉल आर्मी वर्म की निगरानी के लिए प्रति एकड़ में 5 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। यह एक प्रकार का जाल होता है।

आक्रमण दिखते ही गोभ में सूखी रेत व चूने का 9:1 मिश्रण डालें।

साप्ताहिक अवधि पर ढ़ाई ट्राइको कार्ड, जिसमें 50000 परजीवीकृत अंडे हों, पौधों पर लगाएं।

इस कीट के लिए 200 लीटर पानी में मिलाकर 5% प्रकोप तक, 5% नीम बीज घोल या 1 लीटर अजाडीरेक्टिन 1500 पीपीएम प्रति एकड़ की दर से छिड़कें।

खेत में 10-20% या अधिक आक्रमण होने पर क्लोरेनट्रानिलीप्रोल 18.5% एससी 80 मिली या एमामेक्टिन बेंजोएट 80 ग्राम या स्पाईनटेरोम 11.7 एससी 100 मिली प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिला कर गोभ में छिड़काव करें। इस कीट के नियंत्रण के लिए उपरोक्त कीटनाशकों की भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की तरफ से एडहॉक सिफारिश की गई है।

ऐसे पहचानें रोग : फॉल आर्मी वर्म आक्रमण की पहचान पत्तों पर लम्बे या गोल से आयताकार कटे-फटे छिद्रों द्वारा होती है। इसकी छोटी-बड़ी मटमैले रंग की सुंडियां पौधों की गौभ को खाती हैं।