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Cotton Rate Update: कपास उत्पादन करने वाले किसानों को लगा बड़ा झटका, सरकार ने विदेशों से इंपोर्टेड होने वाली कपास पर शुल्क हटाया, भाव मिलेंगे कम

 

Cotton Price Update: भारत कपास उत्पादन में विश्व स्तर पर अहम भूमिका निभाता है, लेकिन सरकार ने अमेरिका समेत अन्य देशों से इंपोर्टेड (आयतित) कपास पर दिसंबर 2025 तक शुल्क हटा दिया है। पहले ये 19 अगस्त से 30 सितंबर तक था, अब यह अवधि बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 तक कर दी गई है। इससे जब देश के किसानों की फसल अक्टूबर में बाजार में आएगी, तब तक टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज अपनी जरूरतें सस्ते विदेशी कपास से पूरी कर चुकी होंगी। नतीजतन किसानों को या तो फसल नहीं बिकेगी या बहुत कम दाम मिलेंगे। यह वही किसान हैं, जिन्होंने पिछले दो सीजन में कीट और मौसम की मार झेली, अब बाजार की मार भी उनके सामने है। हालात ऐसे बने तो मध्यप्रदेश के कपास उत्पादन से जुड़े हजारों परिवार आर्थिक संकट में फंस सकते हैं।

मप्र का कपास उत्पादन में है महत्वपूर्ण योगदान

मध्यप्रदेश कपास उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। रकबे में प्रदेश देश में 7वें स्थान पर है, जहां 5.37 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कपास की खेती होती है। उत्पादन के मामले में मप्र 6वें स्थान पर है और यहां हर साल 15.35 लाख बेल्स (1 बेल= 217.7 किलो) से ज्यादा कपास निकलता है। उत्पादकता यानी प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 486 किलो है, जिससे प्रदेश देश में 5वें स्थान पर आता है।

6 साल में 1.13 लाख हेक्टेयर रकबा कम

मप्र में कपास की खेती लगातार सिमट रही है। 2019-20 में जहां 6.50 लाख हेक्टेयर में कपास बोया जाता था, वहीं अब यह घटकर 5.37 लाख हेक्टेयर रह गया है। सिर्फ रकबा ही नहीं, उत्पादन पर भी असर पड़ा है। 2023-24 में 18.01 लाख बेल्स कपास निकला था, जो 2024-25 में घटकर 15.35 लाख बेल्स रह गया। यानी एक साल में ही 2.66 लाख बेल्स का नुकसान हुआ।

हर साल उत्पादन से अधिक रहती है खपत

भारत में कपास की खपत हर साल उत्पादन से अधिक रहती है। 2023-24 में देश ने 325.22 लाख बेल्स उत्पादन किया और 15.20 लाख बेल्स आयात किए थे। कुल खपत 354.48 लाख बेल्स रही, जिसमें आयात की हिस्सेदारी 4.3% थी। 2024-25 में उत्पादन घटकर 294.25 लाख बेल्स होने का अनुमान है, जबकि आयात बढ़कर 25 लाख बेल्स पहुंच गया है। इस साल खपत 336 लाख बेल्स रहेगी, जिसमें आयात की हिस्सेदारी बढ़कर 7.4% हो जाएगी।