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 बलिहारी बिहार की....

 बिहार चुनाव एक विश्लेषण 
 
 

-डा प्रदीपसिंह राव

बिहार के चुनाव  में अभी लगभग तीन माह का समय बाकी है,अक्टूबर में चुनाव की तैयारी है और  ऐडी से चोटी का दम  लगाने राजनीतिक दल मैदान में कूद पड़े हैं। आज बिहार बदल चुका है,यहां 20-25 साल पहले जैसी अराजक स्थिति नहीं है। बूथ कैप्चरिंग ,हिंसा, लूट,हत्या से चुनाव नहीं होते,बिहारी रणनीति से हाई टेक चुनाव लड़े जाते हैं।अब बाहुबलियों का जमाना चला गया,चारा , भैंसे और विभिन्न घोटाले बीती बातें हो गई।

अब कुछ सरकार की दी गई सुविधाओं और भविष्य के लाभ का खेल होता है।जातिगत समीकरण सर्वोपरि है।बेरोजगारी का मुद्दा हरा का हरा बना हुआ है लेकिन युवा वोटर्स भी बंटा हुआ है। बिहार में किसी भी एक नेता की लोकप्रियता नहीं है,जैसी एक   समय में कर्पूरी ठाकुर,जगन्नाथ मिश्र,बलिराम भगत, लालू यादव,पासवान जैसे नेताओं का जादू चलता था।  भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और  संपूर्ण क्रांति के जनक समाजवादी  आंदोलन के प्रणेता युवाओं के आदर्श जयप्रकाश नारायण का बिहार  कभी भारतीय राजनीति का उच्चतर केंद्र था।

bihar seats

अब लालू यादव परिवार से तेजस्वी यादव ने छवि अच्छी चमकाई है लेकिन चाचा नीतीश के साथ मोदी जी के खड़े रहने से उनकी  छवि फीकी पड़ जाती है,उनको  राजद को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की  नाव पर सवारी करनी पड़ती है,जो लालू के मुकाबले बहुत फीके पड़ते हैं। तेजस्वी की तेजस्विता फीकी पड़ जाती है।फिर भी 243 में से राजद ने 80सीटें हासिल कर ली थी पिछले विधान सभा चुनाव में। लेकिन उनका महागठबंधन फेल हो गया था। 
जेडीयू,भाजपा,लोजपा और अन्य के साथ एनडीए ने,130सीटों पर जीत हासिल की थी। महागठबंधन 109 पर रुक  गया था। बीजेपी,54 सीटों के साथ तीसरी बड़ी पार्टी बनी ।          

अब इस विधान सभा में चुनाव की नई रणनीति चल रही है।पिछड़ों ( ओबीसी) पर सारा दारोमदार है वो भी जदयू और राजद में  बंटे हुए हैं।प्रशांत किशोर 243सीटों पर चुनाव लड़वा रहे हैं जो किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकते हैं।लोजपा चिराग पासवान और अन्य दलों का भी अब सीटों का बंटवारा नए रूप दिखाएगा।


हवा विपरीत बहती सी दिख रही है जो बीजेपी की सरकार बनाने में आड़े आ सकती है। मजबूत पक्ष ये है कि कांग्रेस अभी भी बिहार में कमजोर ही है। रेवड़ी बांटने के लिए नीतीश के पास बड़ा खजाना है।जबकि यादव परिवार (राजद ) जनता को सिर्फ मुंगेरी लाल के सपने दिखा सकता है। धारा के विपरीत  तैरने का साहस दिखाने वाले  गठबंधन की ही जीत होगी।बहुत महीन अंतर रहेगा इस बार भी जीत हार में।