एक आईएएस केवल जिले का जिलाधिकारी या डीएम तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई अन्य हाई-प्रोफाइल जिम्मेदारियां भी निभाते हैं
एक आईएएस केवल जिले का जिलाधिकारी या डीएम तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई अन्य हाई-प्रोफाइल जिम्मेदारियां भी निभाते हैं। सरकार अपने हिसाब से उनको प्रमोशन के बाद महत्वपूर्ण पद आवंटित करती है। ऐसे में पूरी सरकार को चलाने का जिम्मा इन्हीं आईएएस अधिकारियों पर ही होता है।
हर साल आईएएस बनने का सपना लेकर करोड़ों युवा परीक्षा देते हैं। इनमें से बहुत ही कम सफल होते हैं। आईएएस बनने के लिए युवाओं को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसके लिए वह 24 घंटें में से 18 से 20 घंटे तक पढ़ाई करते हैं। इसके बावजूद बहुत कम ही युवाओं को आईएएस बनने का मौका मिलता है। आईएएस यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में से एक मानी जाती है। भारत में इससे बड़ी कोई सेवा नहीं होती है।
एसडीएम यानी सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट
आईएएस की परीक्षा पास करने के बाद इन अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद उनको सबसे पहले एसडीएम या एसडीओ (Sub-Divisional Officer) बनाया जाता है। यह पद एक जिले में महत्वपूर्ण होता है। एसडीएम की कानून-व्यवस्था, भूमि के मामलों और विकास की परियोजनाओं की निगरानी की जिम्मेदारी होती है। एसडीएम को पूरे जिले में दूसरे नंबर का अधिकारी माना जाता है। डीएम के बाद एसडीएम ही वह अधिकारी होती है, जो हर प्रकार के कार्य करने में सक्षम होता है।
एडीसी या एडीएम
देश के कई राज्यों में अतिरिक्त जिलाधिकारी एडीएम होता है वहीं कुछ राज्यों में एडीसी होता है। इनके पद समान होते हैं, केवल नाम का ही अंतर होता है। आईएएस अधिकारी ट्रेनिंग के बाद एडीएम बनते हैं और उसके बाद वह एडीएम बनते हैं। यह पद जिलाधिकारी की सहायता के लिए होता है। एडीएम जिला परिषद, वित्त, भूमि या प्रशासन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। एडीएम को कुछ विभागों की जिम्मेदारी अलग से दी जाती है।
डिप्टी कमिश्नर या डीएम
आईएएस अधिकारी को ही एडीएम के बाद डीएम या डीसी बनाया जाता है। डीसी मतलब डिप्टी कमिश्नर का पद पूरे जिले में महत्वपूर्ण होता है। डीसी को जिले में कानून-व्यवस्था, चुनाव संचालन, विकास कार्यों की निगरानी या अनेक प्रकार के महत्वपूर्ण फैसले लेने का अधिकार दिया जाता है। डीएम अपनी शक्तियों का प्रयोग करे जिलाधीश के निर्णय भी ले सकते हैं। ऐसे में उनके द्वारा जिले में जरूरत के अनुसार धाराएं लगाई जा सकती हैं।
किसी विभाग में सचिव
राज्य सरकार किसी भी आईएएस अधिकारी को किसी भी विभाग में सचिव के पद पर नियुक्त कर सकती है। यह सरकार के निर्णय पर निर्भर करता है कि जिसके बाद किसी भी आईएएस अधिकारी को किसी भी विभाग के सचिव की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। विभाग का सचिव उस विभाग से संबंधित फैसले लेता है। इसमें विभाग का बजट निर्धारण करना, बजट का प्रबंधन और योजनाओं की निगरानी करना शामिल है।
डिविजनल कमिश्नर बनना
आईएएस अधिकारी जब अपनी सेवा का अच्छा अनुभव प्राप्त कर लेते है तो उसको पदोन्नति करके डिविजनल कमिश्नर बना दिया जाता है। इस डिविजनल कमिश्नर के तहत दो से तीन जिले आते हैं। यह इन जिलों का प्रमुख होता है। डिविजनल कमिश्नर जिलाधिकारियों की गतिविधियों की निगरानी करता है।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर
किसी भी आईएएस अधिकारी को पदोन्नति देकर प्रोजेक्टर डायरेक्टर बनाया जा सकता है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्य स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का अन्य सरकारी योजनाओं का डायरेक्टर बनाया जा सकता है। एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर कई परियोजनाओं का क्रियान्वयन करता है।