नाबालिग वाहन चालकों के हाथ सड़क…
सड़कों पर नाबालिग वाहन चालकों की संख्या अधिक
बगैर लायसेंस के चलाते हैं गाड़ी
रतलाम 18 मई (इ खबरटुडे /ऋत्युत मिश्र) शहर में कम उम्र के बच्चे दो पहिया वाहन चलाते दिख जाते हैं, यह आम बात है पर अगर पैसेंजर व्हीकल्स को नाबालिगों द्वारा चलाया जाता है तो यह निश्चित तौर पर घोर आपत्तिजनक माना जा सकता है। इसका कारण यह है कि पैसेंजर व्हीकल्स में न जाने कितने लोग सफर करते हैं और उनका जीवन इन नौसिखिए वाहन चालकों के हाथों में होता है। यह वाकई जांच का विषय है कि अगर ऐसा हो रहा है तो परिवहन विभाग और यातायात पुलिस क्या महज चौथ वसूली के काम में ही लगी हुई है।
यह तो सौभाग्य ही माना जाएगा कि अब तक इस तरह के नाबालिगों के द्वारा किसी तरह की दुर्घटना को अंजाम नहीं दिया गया है। जांच का विषय तो यह भी है कि क्या इनके पास परिवहन विभाग के द्वारा दिया जाने वाला वैध लाईसेंस है? अगर नहीं तो ये वाहन कैसे दौड़ा रहे हैं और अगर दौड़ा भी रहे हैं तो लाईसेंस चेक करने वाली अथॉरिटी द्वारा इनके दस्तावेजों का परीक्षण क्यों नहीं किया जा रहा है।
देखा जाए तो परिवहन विभाग हो या यातायात पुलिस, सभी को प्रदेश की ओर से हर साल समन शुल्क जमा करने के लिए निर्धारित टारगेट दिया जाता है। यह लक्ष्य इन्हें एक साल में पूरा करना होता है। दोनों ही विभाग दिसंबर माह के उपरांत ही हरकत में आते हैं और जनवरी-फरवरी एवं मार्च माह में ही अपने लक्ष्य को किसी तरह से पूरा करने पर आमादा होते हैं।
जांच में हो सकता है दूध का दूध-पानी का पानी
जिला कलेक्टर स्वयं इस बात की जांच करवा लें कि किस माह चालान काटकर कितना राजस्व वसूला गया है, तो दूध का दूध-पानी का पानी हो सकता है, किन्तु जिला कलेक्टर के पास व्यस्तताएं बेहद ज्यादा होती हैं अत: वे इस दिशा में ध्यान शायद न दे पाते हों।
यातायात पुलिस का नजला भी शहर के अंदर ही दो पहिया वाहनों पर ही टूटता नजर आता है। यातायात पुलिस को चार पहिया वाहनों में विसंगतियां शायद दिखाई नहीं देती हैं। वहीं परिवहन विभाग भी इस बारे में सोच नहीं पाता है कि क्या कारण है कि मध्य प्रदेश की परिवहन जांच चौकी में वाहनों की लंबी कतारें लगी होती हैं। जाहिर है जानबूझकर मध्य प्रदेश बॉर्डर पर वाहनों को रोका जाता है (कारण चाहे जो भी हो)।
संवेदनशील जिला कलेक्टर से जनापेक्षा है कि यातायात पुलिस एवं परिवहन विभाग की संयुक्त बैठक बुलवाकर दोनों ही विभागों को पाबंद किया जाए कि वे सड़कों पर उतरकर भारी वाहनों की चेकिंग करें और अगर नाबालिग वाहन चलाते पाए जाएं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें।साथ ही साथ इस समय ई-उपार्जन के माध्यम से हो रही गेहूं की ढुलाई में ओव्हरलोड वाहनों पर भी शिकंजा कसा जाए।
महिलाएं भी पीछे नहीं नियम तोडऩे में
यातायात चैकिंग में प्राय: देखा जाता है कि केवल युवकों को चैकिंग के लिए रोका जाता है। युवतियों पर नर्मी बरती जाती है इसका कोई मानवता का नाता नहीं अपितु महिला यातायात कर्मी न होना है। यातायात पुलिस में महिलाओं का ना होना भी एक समस्या का कारण है।