मध्य प्रदेश के लोगों के लिए खुशखबरी,मध्य प्रदेश में बायो सीएनजी के लगेंगे पांच प्लांट

रिलायंस इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश में बायो सीएनजी प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है मध्य प्रदेश में 10 CBG प्लांट बन रहे हैं। इस समय भोपाल, इंदौर, बालाघाट ,जबलपुर सतना में पांच प्लांट का निर्माण जोरों पर चल रहा है। यह काम मार्च 2026 तक पूरा हो जाएगा। सीबी प्लांट में डेढ़ सौ से 200 लोगों को नौकरी मिलेगी।
एमपी सरकार ने 19 फरवरी को बायो फ्यूल पॉलिसी 2025 को मंजूरी दी है बायोफ्यूल यूनिट लगाने पर सरकार की तरफ से कई तरह की रियायतें देने का ऐलान किया गया है। इसी के बाद रिलायंस इंडस्टरीज मध्य प्रदेश ने रिलायंस प्लांट्स के विस्तार की तैयारी शुरू करती है। आने वाले समय के लिए रिलायंस मध्य प्रदेश बायोफ्यूल में बड़े इन्वेस्टमेंट की तैयारी कर रही है। 24 ,25 फरवरी को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में रिलायंस की तरफ से इस सेक्टर में बड़े निवेश का ऐलान हो चुका है।
रिलायंस की 5 जिलों में प्लांट की तैयारी
इंदौर, भोपाल, जबलपुर ,सतना ,बालाघाट
एक प्लांट की क्षमता 20 टन प्रोडक्शन प्रति प्लांट प्रतिदिन होगी।
रो मटेरियल 7 से 10 गुना
रोजगार हर प्लांट पर 200 के लगभग नौकरियां
मार्च 2026 तक इन पांच प्लांट में काम शुरू हो जाएगा।
बायो सीएनजी के बारे में जानिए कुछ ,क्या होती है बायो सीएनजी ,और किस प्रकार तैयार होती है।
इस गैस को उच्च दबाव में कंप्रेस करके सिलेंडर में भरा जाता है।
बायोफ्यूल बनाने के लिए फसलों का कचरा ,गोबर, फूड वेस्ट , सीवरेज को एक बंद टैंक में प्रक्रिया किया जाता है।
जब गैस लगभग 95% मेथेन तक शुद्ध हो जाती है तो यह बायो सीएनजी बनकर तैयार हो जाती है।
इस टैंक में ऑक्सीजन नहीं होता बैक्टीरिया जैविक कचरे को तोड़ते हैं और बायोगैस तैयार होती है।
बायोगैस से कार्बन डाइऑक्साइड ,पानी ,हाइड्रोजन ,सल्फाइड जैसी आशुदियां हटाई जाती है।
बायोगैस में लगभग 50 से 60% मेथेन और 30 से 40% कार्बन डाइऑक्साइड और कुछ अशुद्धियां होती है।
बायोगैस से क्या लाभ मिलेगा
बायोगैस से कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है ग्रीन हाउस इफेक्ट को कम करता है जिस कारण कम प्रदूषण होता है।
गैस बनने के बाद बचने वाला पदार्थ को जैविक खाद की तरह प्रयोग किया जा सकता है।
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ मिलेगा गांव के लोग अपनी फसल का कचरा प्लांट को भेज सकते हैं।